अपना सर्वोत्तम समाज को देने वालों में गजब का जज्बा होता है!
थामस एल्वा एडिसन प्राइमरी स्कूल मे पढ़ते थे। एक दिन घर आए और मां को एक कागज देकर कहा, टीचर ने दिया है। उस कागज को पढ़कर माँ की आँखों में आंसू आ गए। एडिसन ने पूछा क्या लिखा है? आँसू पोंछकर माँ ने कहा- इसमें लिखा है- ‘‘आपका बच्चा जीनियस है। हमारा स्कूल छोटे स्तर का है और शिक्षक बहुत प्रशिक्षित नहीं हैं, इसे आप स्वयं शिक्षा दें। कई वर्षों बाद माँ गुजर गई। तब तक एडिसन प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन चुके थे। एक दिन एडिसन को अलमारी के कोने में एक कागज का टुकड़ा मिला। उन्होंने उत्सुकतावश उसे खोलकर पढ़ा। ये वही कागज था, जिसमें लिखा था- आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर कमजोर है, उसे अब स्कूल न भेजें। एडिसन घंटों रोते रहे, फिर अपनी डायरी में लिखा- एक महान माँ ने बौद्धिक तौर पर कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया।
सातवें आॅस्ट्रेलियन ओपन खिताब की उम्मीद में उतरे गत चैंपियन नोवाक जोकोविच का अभियान दूसरे दौर में ही थम गया। विश्व में दूसरे नंबर के खिलाड़ी को 117वीं रैंकिंग वाले उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन ने हराकर तहलका मचा दिया। नोवाक जोकोविच को शिकस्त देने वाले उज्बेकिस्तान के डेनिस इस्तोमिन सिर्फ अपनी मां और कोच क्लाउडिया इस्तोमिना की लगन और मेहनत के बूते शीर्ष स्तर तक पहुंचे। 30 वर्षीय डेनिस का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो सकता था।
14 साल पहले वह सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। पैर में गंभीर चोट आई और 80 टांके लगाने पड़े। मां ने डनिस को टूटने नहीं दिया। मां खुद भी टेनिस खिलाड़ी रही हैं। डेनिस के अनुसार मेरी मां मुझे बेहतर ढंग से समझती है। मेरी दुनिया मेरी मां के इर्द-गिर्द है। मेरा खेल उन्हीं की कोचिंग में निखरा है। इस महान खिलाड़ी डेनिस तथा उसकी महान तथा साहसी मां के जज्बे को लाखों सलाम।
अंगदान को बढ़ावा देने की सरकार की मुहिम रंग ला रही है। मृत्यु के बाद भी दूसरे का जीवन संवारने की यह शपथ लेने वालों की संख्या में पिछले कुछ महीनों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अब सरकार ने लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2017 के अंत तक 20 लाख लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जाए। फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा ने अंगदान करने वालों के परिजनों को इस साहसी फैसले के लिए बधाई दी। अंगदान संबंधी सवालों के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन 1800114770 शुरू की गयी है। सरकार तथा समाजसेवी संस्थाओं को अपने-अपने क्षेत्र के लोगों को मृत्यु के उपरान्त अंगदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। मृत्यु के पश्चात अंगदान करना सबसे बड़ा महादान है। मृत्यु के पश्चात भी व्यक्ति दूसरों को जीवन देकर जीवित रहता है। मीडिया इस महादान को सर्वसुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मेरे जैसे कई लोग अपनी मृत्यु के पश्चात अंगदान करने की इच्छा तो रखते हैं लेकिन उन्हें नहीं मालूम कहां और किससे सम्पर्क करें। मेरा सुझाव है कि सम्पर्क सूत्र तथा चिकित्सकों की टीम को सशक्त, समर्पित, 24 घण्टे एक्टिव तथा त्वरित बनाना चाहिए।
कैंसर जैसे भयावह रोग को भी युवराज सिंह के जज्बे के आगे आखिरकार हार माननी पड़ी। भारतीय टीम दसवें क्रिकेट विश्व कप में 24 मार्च, 2011 को आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल खेल रही थी। एक बड़े वर्ग का मानना था कि विश्व कप में भारत का सफर इसी मैच पर थम जाएगा। 261 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए जब भारत की आधी टीम पौने दो सौ के करीब पैविलियन लौट गई, तब यह बात ठीक भी लगने लगी। उन मुश्किल परिस्थितियों और दबाव में युवराज सिंह ने करिश्मा दिखाते हुए अर्द्धशतक लगाया और आॅस्ट्रेलिया को विश्व कप से बाहर का रास्ता दिखा दिया। युवराज सिंह के साहसिक तथा बहादुरी से भरे जज्बे को लाखों सलाम। भारत हमारा जुनून होना चाहिए। वहीं कुआलालमपुर में कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए जोकर के परिधान में समाजसेवियों ने फंड एकत्रित किया। यह कैंसर पीड़ितों की सहायता के लिए एक अनूठा एवं सराहनीय कदम है। कुआलालपुर के युवकों के इस जज्बे को लाखों सलाम।
गायिका ओलीविया न्यूटन जाॅन का कहना है कि वह हमेशा इस बात के लिए ‘एहसानमंद’ रहेंगी कि कैंसर ने उन्हें जिंदगी में ‘करूणा के बारे में काफी कुछ सिखाया’। 68 वर्षीय इस गायिका को करीब दो दशक पहले पता चला था कि वह स्तन कैंसर से पीड़ित हैं और यह समय ओलीविया के लिए मुश्किलों भरा रहा। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं होता तो मैं अपनी जिन्दगी में वे बहुत से काम नहीं कर पाती जो मैंने किए हैं। मैं इस अनुभव के लिए आभारी हूं। इसने मुझे उन लोगों के प्रति करूणामयी बनाया जो मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सकारात्मक नजरिये की वजह से अपनी सेहत को फिर से पटरी पर लाने में उन्हें खासी मदद मिली। ओलीविया न्यूटन जाॅन के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से सकारात्मक नजरिये से लड़ने के जज्बे को लाखों सलाम। उनका जीत का यह अनुभव लाखों निराश लोगों के जीवन में हौसला भरेगा।
विश्व मैराथन अपनी सीमाएं खुद परखने का एक मौका है। अंटार्कटिका से शुरू हुई इस मैराथन में प्रतिभागी सात महाद्वीपों के सात देशों में सात दिनों तक अपने साहस का परिचय दिया। इसमें दुनियाभर के 32 प्रतिभागी हिस्सा लिया। इस वैश्विक आयोजन की आखिरी रेस सिडनी में समाप्त हुई। वल्र्ड मैराथन शारीरिक और मानसिक क्षमता की परख करने की अच्छी मिसाल है। साथ ही यह विश्व एकता तथा विश्व शान्ति का सन्देश भी दुनिया को दिया। इस तरह के अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन अधिक से अधिक होना चाहिए। यह एक-दूसरे की संस्कृति, सभ्यता तथा रीति-रिवाज को समझने में सहायक होते हैं।
समुद्र में एक महीने से भी अधिक समय से लापता न्यूजीलैंड का एक व्यक्ति एलेन लैंगडोन और उसकी छह वर्षीय बेटी क्यू तमाम जानलेवा खतरों से जूझते हुए सही सलामत आॅस्ट्रेलिया पहंुच गये। समुद्री तूफान की चपेट में आकर नाव का पिछला हिस्सा टूट गया था। वे दोनों तस्मान सागर में लगभग 2000 किलोमीटर की कठिनाइयों से भरी यात्रा करके आस्ट्रेलिया के तट पर पहुंचे। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती। वही एक दूसरी खबर के अनुसार अमेरिका में एक पालतू कुतिया ने असाधारण सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने मालिक को भीषण ठंड से मरने से बचा लिया। फार्महाउस में जमीन पर गिरे मालिक के ऊपर लेटकर उसने उसे लगभग 20 घंटे तक गर्मी पहुंचाई और तब तक भौंकती रही जब तक पड़ोसी आ नहीं गए।
लखनऊ में इंडियन आॅयल के सहयोग से 22 जनवरी को हाफ मैराथन का आयोजन किया गया। अल सवेरे जब लोग रजाई में दुबके सो रहे थे तब हजारों युवा, बच्चे, बुजुर्ग और दिव्यांग 1090 चैराहे पर इकट्ठा थे। हजारों की भीड़ यहां शहर के मतदाताओं को जगाने के लिए उमड़ी। इस मैराथन का संदेश था सारे काम छोड़ दो, सबसे पहले वोट दो। वोट एक वोटर की सबसे बड़ी ताकत है। हमारे एक-एक वोट को मिलाकर सरकार गठन होता है। हमें अपने वोट का दान बहुत सोच-समझकर देना चाहिए। सरकार को हमारा सुझाव है कि वोटर को सरकार बनाने की फीस के रूप में प्रत्येक वोटर न्यूनतम मासिक आय सुनिश्चित करनी चाहिए। इस प्रयास से प्रत्येक वोटर के जेब में कुछ धनराशि प्रतिमाह आयेगी। उसे असली लोकतंत्र का अहसास होगा। वोट प्रतिशत भी शतप्रतिशत होगा। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति देश को अपनी सर्वोत्तम सेवा देने के लिए प्रेरित होगा।
अमेरिका के हवाई स्थित माउना लोआ द्वीप पर वैज्ञानिकों का एक दल मंगल ग्रह जैसे वातावरण में शोध करेगा। दल ने 19 जनवरी को इस मानव निर्मित वातावरण में प्रवेश किया, जहां शोध पूरा होने तक उनका संपर्क बाहरी दुनिया से नहीं रहेगा। वैज्ञानिकों ने 1200 वर्ग फुट के क्षेत्रफल में कृत्रिम डोम तैयार किया। माउना लोआ द्वीप हवाई में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद ठंडा होने पर बना है। अभियान के दौरान वैज्ञानिक फ्रीज पदार्थों का प्रयोग करेंगे। वैज्ञानिकों के इस जज्बे को लाखों सलाम। हमें विश्वास है कि मानव जाति के हित में यह शोध सफल होंगी।
महाराष्ट्र की सिम्बायोसिस नेशनल यूनिवर्सिटी, पुणे की किशोरी ओशिका नियोगी बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 20 जनवरी को आयोजित हुए शपथ समारोह के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनी गई थी। यूथ विश्व शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रम्प के शपथ समारोह में भाग लेने की इजाजत मिली थी। उसे इस बारे में व्हाइट हाउस से निमंत्रण भी मिल था। ओशिका नियोगी के इस वैश्विक पहचान बनाने के जज्बे को लाखों सलाम।
चीन के अखबार चाइना डेली में एक सामान्य सी खबर छपी। 300 शब्दों की इस खबर के लेखक थे जियाओ नन। खास बात इस खबर में नहीं थी, खास बात यह थी कि इसका लेखक कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक रोबोट था। रोबोट ने इस खबर को सिर्फ एक सेकंड में लिख दिया। वैसे यह पहली बार नहीं है कि रोबोट ने कोई खबर लिखी हो। रोबोट फिलहाल इस स्थिति में नहीं है कि वह परंपरागत लेखकों को बेरोजगार कर दे, वह ज्यादा से ज्यादा एक अच्छा सह-लेखक बन सकता है। एक धारणा यह है कि बेरोजगारी की मूल वजह तकनीक नहीं, अर्थव्यवस्था होती है। हमारा सुझाव है कि आगे आने वाले रोबोट के युग में श्रम का कार्य रोबोट तथा मशीनों से कराया जाए, सृजन, कला एवं मानवीय गुणों के विकास का कार्य मनुष्य के हिस्से में रखा जाये। शिक्षा के द्वारा बच्चों में प्रारम्भ से ही वसुधैव कुटुम्बकम एवं जय जगत की भावना का विकास किया जाये।
प्रदीप कुमार सिंह, शैक्षिक एवं वैश्विक चिन्तक
पता– बी-901, आशीर्वाद, उद्यान-2
एल्डिको, रायबरेली रोड, लखनऊ-226025
मो. 9839423719