गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये ।
जो गुरु चाहे सोयि सोयि करिये॥
गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं।
ऐसी सुमति हमे दो दाता ॥
गुरु चरनन मे शीश झुकाले
जनम सफल हो जायेगा
गुरु बिन कौन सम्हारे ।
को भव सागर पार उतारे ॥
गुरु मेरी पूजा , गुरु गोविन्द ..
गुरु मेरा पार ब्रह्म , गुरु भगवंत..
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ..