करम गति टारै नाहिं टरी॥
केहि समुझावौ सब जग अन्धा॥
झीनी झीनी बीनी चदरिया॥
तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के।
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥
दिवाने मन भजन बिना दुख पैहौ ॥
नैया पड़ी मंझधार्
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार्॥
बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥
भजो रे भैया राम गोविंद हरी।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी॥
मन लाग्यो मेरो यार
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥
राम बिनु तन को ताप न जाई।
जल में अगन रही अधिकाई॥
राम बिनु तन को ताप न जाई॥
रे दिल गाफिल गफलत मत कर
एक दिना जम आवेगा॥