‘रांझा-रांझा’ करदी हुण मैं आपे रांझा होई| टेक|
सद्दो मैनूं धीरो रांझा हीर न आखो कोई|
अपणा दस टिकाणा,
किधरों आया किद्धर जाणा| टेक|
अपणे संग रलाईं पिआरे, अपने संग रलाईं| टेक|
अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे,
रैन गई लटके सब तारे| टेक|
अम्मा-बाबे दी भलिआई,
ओह हुण कम्म असाडे आई| टेक|
साडे वल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ,
साडे वल मुखड़ा मोड़| टेक|
आ मिल यारा सार लै मेरी,
मेरी जान दुखां ने घेरी| टेक|
इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए| टेक|
इक टूणा अचम्भा गावंगी,
मैं रुट्ठा यार मनावांगी| टेक|
सब इक्को रंग कपाई दा,
इक आपे रूप वटाई दा| टेक|
इलमों बस करीं ओ यार
इक्को अलफ़ तेरे दरकार| टेक|
इश्क़ दी नवियों नवीं बहार| टेक|
उठ चल्ले गुआंढों यार,
रब्बा हुण की करिये| टेक|
उठ जाग घुराड़े मार नहीं,
एह सौण तेरे दरकार नहीं| टेक|
उलटे होर ज़माने आये –
तां में भेद सजण दे पाये| टेक|
कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ,
तेरीआं वाटां तों सिर धोलिआ| टेक|
अब लगन लगी किह करिये,
नांह जी सकिये नांह ते मरिये| टेक|
देखो नी की कर गिआ माही,
लैंदा ही दिल हो गिआ राही| टेक|
की जाणां मैं कोई रे बाबा,
की जाणां मैं कोई|टेक|
की बेदर्दों के संग यारी?
रोवण अखियां ज़ारो-ज़ारी| टेक|
रातीं जागें करें इबादत
रातों जागण कुत्ते,
तैकूं उत्ते|
क्यों ओह्ले बैह् बैह् झाकीदा?
एह पर्दा किस तों राखी दा?| टेक|
ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा,
कुछ नहीं ज़ोर धिंगाणा| टेक|
गल रौले लोकां पाईं ए| टेक|
घड़िआली दिओ निकाल नी,
अज पी घर आइला लाल नी| टेक|
चुप करके करीं गुज़ारे नूं| टेक|
मैं चूढ़ेटरी आं सच्चे साहिब दी सरकारों| टेक|
जिस तन लगिआ इश्क़ कमाल,
नाचे बेसुर ते बेताल| टेक|
तांघ माही दी जली आं
नित काग उडावां खली आं| टेक|
तूहिओं हैं मैं नाहीं वे सजणा,
तूहिओं हैं मैं नाहीं| टेक|
तेरा नाम तिहाई दा,
साईं तेरा नाम तिहाई दा| टेक|
तेरे इश्क़ नचाईआं कर थईया-थईया| टेक|
तोबा मत कर यार, कैसी तोबा है?
नित पढ़ दे इस्तग़फ़ार कैसी तोबा है| टेक|
दिल लोचे माही यार नूं| टेक|
इक हस हस गल्लां कर दियां,
पत्तियां लिखां मैं शाम नूं मैनूं पिया नज़र न आवे|
आंगन बना डरावना कित विधि रैण विहारे|
झब सुख दा सुनेहुड़ा ल्यावीं वे पांधिया हो| टेक|
पानी भर-भर गइयां सब्भे आपो अपनी वार| टेक|
इक भरन आइयां, इक भर चल्लियां,
इक खलियां ने बाहं पसार|
पाया है किछु पाया है
मेरे सतिगुरु अलख लखाया है| टेक|
बस कर जी, हुण बस कर जी ,
कोई गल असां नाल हस कर जी|टेक|
बुल्ल्हिआ, की जाणां मैं कौन?|टेक|
बुल्हे नूं समझावण आइयां,
भैणा ते भरजाइयां| टेक|
मैं बेक़ैद, मैं बेक़ैद;
ना रोगी, ना वैद|
माटी कुदम क्रेंदी यार
वाह-वाह माटी दी गुलज़ार| टेक|
मुरली बाज उठी अनघातां
सुण सुण भुल्ल गईआं सभ बातां| टेक|
मेरी बुक्कल दे विच चोर नी,
मेरी बुक्कल दे विच चोर| टेक|
हाज़ी लोक मक्के नूं जांदे,
मेरा रांझा माही मक्का,
नी मैं कमली आं|
मैं क्योंकर जावां क़ाबे नूं,
दिल लोचे तख्त हज़ारे नूं| टेक|
मैंनूं की होइया मैथों गई गवाती मैं| टेक|
क्यों कमली आखे लोका मैंनूं की होया है|
मैंनूं कौण पछाणे,
मैं कुझ गो गई होर नी| टेक|
मैनूं लगड़ा इश्क़ अवलड़ा
अव्वल दा, रोज़ अज़ल दा|टेक|
रांझा जोगीड़ा, बन आया नी,
वाह सांगी सांग रचाया नी| टेक|
की करदा हुण की करदा,
तुसी कहो ख़ां दिलबर की करदा| टेक|
वाह-वाह रमज़ सजण दी होर| टेक|
दिलबर संभल के नहु लाए,
पिच्छों पछोतावहिंगा|
जाणेंगा तूं तां,
जां रोइ रोइ हाल वजावेंगा|
से वणजारे आए नी माए,
से वणजारे आए,
लालां दा ओह वणज करेंदे,
होका आख सुणाए|
अब हम गुम हूए गुम हूए,
प्रेम नगर के सैर| टेक|
हिन्दू नहीं ना मुसलमान,
बहिये त्रिंजण1 तज़ अभिमान| टेक|