Homeभक्त बुल्ले शाह जी काफियां

भक्त बुल्ले शाह जी काफियां (58)

‘रांझा-रांझा’ करदी हुण मैं आपे रांझा होई| टेक|
सद्दो मैनूं धीरो रांझा हीर न आखो कोई|

अपणा दस टिकाणा,
किधरों आया किद्धर जाणा| टेक|

अपणे संग रलाईं पिआरे, अपने संग रलाईं| टेक|

अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे,
रैन गई लटके सब तारे| टेक|

अम्मा-बाबे दी भलिआई,
ओह हुण कम्म असाडे आई| टेक|

साडे वल मुखड़ा मोड़ वे प्यारिआ,
साडे वल मुखड़ा मोड़| टेक|

आ मिल यारा सार लै मेरी,
मेरी जान दुखां ने घेरी| टेक|

इक टूणा अचम्भा गावंगी,
मैं रुट्ठा यार मनावांगी| टेक| 

इक रांझा मैनूं लोड़ीदा| टेक|

कुन फ़यकुन1 अग्गे दीआं लग्गीआं|

सब इक्को रंग कपाई दा,
इक आपे रूप वटाई दा| टेक|

इलमों बस करीं ओ यार
इक्को अलफ़ तेरे दरकार| टेक|

उठ चल्ले गुआंढों यार,
रब्बा हुण की करिये| टेक|

उठ जाग घुराड़े मार नहीं,
एह सौण तेरे दरकार नहीं| टेक|

उलटे होर ज़माने आये –
तां में भेद सजण दे पाये| टेक|

कदी मोड़ मुहारां ढोलिआ,
तेरीआं वाटां तों सिर धोलिआ| टेक|

अब लगन लगी किह करिये,
नांह जी सकिये नांह ते मरिये| टेक|

देखो नी की कर गिआ माही,
लैंदा ही दिल हो गिआ राही| टेक|

की जाणां मैं कोई रे बाबा,
की जाणां मैं कोई|टेक|

की बेदर्दों के संग यारी?
रोवण अखियां ज़ारो-ज़ारी| टेक|

रातीं जागें करें इबादत
रातों जागण कुत्ते,
तैकूं उत्ते|

क्यों ओह्ले बैह् बैह् झाकीदा?
एह पर्दा किस तों राखी दा?| टेक|

ख़ाकी ख़ाक स्यों रल जाणा,
कुछ नहीं ज़ोर धिंगाणा| टेक|

घड़िआली दिओ निकाल नी,
अज पी घर आइला लाल नी| टेक|

मैं चूढ़ेटरी आं सच्चे साहिब दी सरकारों| टेक|

जिस तन लगिआ इश्क़ कमाल,
नाचे बेसुर ते बेताल| टेक|

तांघ माही दी जली आं
नित काग उडावां खली आं| टेक|

तूहिओं हैं मैं नाहीं वे सजणा,
तूहिओं हैं मैं नाहीं| टेक|

तेरा नाम तिहाई दा,
साईं तेरा नाम तिहाई दा| टेक|

तोबा मत कर यार, कैसी तोबा है?
नित पढ़ दे इस्तग़फ़ार कैसी तोबा है| टेक|