हरी ॐ हरी ॐ साई ॐ साई ॐ
हरी ॐ हरी ॐ साई ॐ साई ॐ
साई ॐ साई ॐ साई ॐ साई ॐ साई ॐ साई ॐ
चन्दन का तुने तिलक लगाया, पानी से तुने दीपक जलाया
दूर से देखा तो दीपक जला था, वोह तो अपना साई बाबा था
शिर्डी के बाबा साई रे मुझे अपना रूप दिखलाई रे
हरी ॐ ……….
काशी भी देखि मथुरा भी देखा शिर्डी न देखि तो क्या तुने देखा
दूर से देखा तो पत्थर पडा था, वोह तो अपना साई बाबा था
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
तू है दाता तू है विधाता तू है पिता और तुम्ही हो माता
तू ने सबकी बिगड़ी बनाई मेरी भी बिगड़ी बना दे ओह साई
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
सत्य पे चलना तुने सिखाया कौन है अपना कौन पराया
जीने की सच्ची राह दिखाई भक्ति की मन मैं ज्योत जलाई
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
तेरे द्वार पे भक्तोने साई लम्बी लम्बी भीड़ लगाई
प्रेम से सब को दर्शन देना प्यार से सब को आशीष देना
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
शिर्डी को तुने स्वर्ग बनाया श्रद्धा सबुरी का मंत्र सिखाया
तेरी महिमा की है बलिहारी पूज रहे तुजे नर और नारी
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
अंधे को तुने ज्योत दिखाई भूखे को तुने रोटी दिलाई
कोधियन को तुने काया दिलाई क्या कहू तेरी लीला है न्यारी
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
हिन्दू भी बोला मुस्लिम भी बोला सिख भी बोला इसाई भी बोला
नानक साई येः शिव भी साई अल्लाह भी साई मौला भी साई
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
बच्चे को तुने चलना सिखाया बूढे को तुने जीना सिखाया
बीच भावार मैं नैया खड़ी थी, उसको तुने पार लगाई
शिर्डी के ……….
हरी ॐ……….
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