रोम रोम में रमा हुआ है
रोम रोम में रमा हुआ है,
मेरा राम रमैया तू,
सकल सृष्टि का सिरजनहारा,
राम मेरा रखवैया तू,
तू ही तू, तू ही तू, …
डाल डाल में, पात पात में,
मानवता के हर जमात में,
हर मज़ेहब, हर जात पात में
एक तू ही है, तू ही तू,
तू ही तू, तू ही तू, …
सागर का ख़ारा जल तू है,
बादल में, हिम कण में तू है,
गंगा का पावन जल तू है,
रूप अनेक, एक है तू,
तू ही तू, तू ही तू, …
चपल पवन के स्वर में तू है,
पंछी के कलरव में तू है,
भौरों के गुंजन में तू है ,
हर स्वर में ईश्वर है तू,
तू ही तू, तू ही तू, …
‘तन है तेरा, मन है तेरा,
प्राण हैं तेरे, जीवन तेरा,
सब हैं तेरे, सब है तेरा’,
पर मेरा इक तू ही तू,
तू ही तू, तू ही तू, …
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