हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम
हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये ।
पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए ॥
पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करता तोल ।
ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल ॥
जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम ।
तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ॥
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