श्री गणपति ध्यान तथा आवाहन
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
लम्बोदराय सकलाय जगत् हिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञभूषिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणपते !
इहागच्छ इहातिष्ठ सुप्रतिष्ठो भव
मम पूजा गृहाण !
ॐ
गणानान्त्वा गणपति (गुँ) हवामहे
प्रियाणान्त्वा प्रियपति (गुँ) हवामहे
निधिनान्त्वा निधिपति (गुँ) हवामहे
वसो मम ।
आहमजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम् ॥
देवों के प्रिय विघ्ननियन्ता, लम्बोदर भव-भय हारी ।
गिरिजानन्दन देव गजानन, यज्ञ-विभूषित श्रुतिधारी ॥
मंगलकारी दुःख-विदारी, तेजोमय जय वरदायक ।
बार-बार जय नमस्कार, स्वीकार करो हे गणनायक ॥
देव आइये यहाँ बैठिये, पूजा को करिये स्वीकार ।
भूर्भुवः स्वः सुख समृद्धि के, खोल दीजिये मंगल द्वार ॥
गणनायक वर बुद्धि विधायक, सदा सहायक भय-भंजन ।
प्रियपति, अति प्रिय वस्तु प्रदायक, जगत्राता जन-मन-रंजन ॥
निधिपति, नव-निधियों के दाता, भाग्य-विधाता भव-भावन ।
श्रद्धा से हम करते सादर, देव! आपका आवाहन ॥
विश्व उदर में टिका आपके, विश्वरूप गणराज महान ।
सर्व शक्ति संचारक तारक, दो अपने स्वरूप का ज्ञान ॥
Spiritual & Religious Store – Buy Online
Click the button below to view and buy over 700,000 exciting ‘Spiritual & Religious’ products
700,000+ Products