नैया पड़ी मंझधार

भजन - गुरु जी - नैया पड़ी मंझधार

नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार ..

साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये .
हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं .
अंतरयामी एक तुम आतम के आधार .
जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार ..
गुरु बिन कैसे लागे पार ..

मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार .
तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार .
अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़ .
जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज ..
गुरु बिन कैसे लागे पार ..

 

Spiritual & Religious Store – Buy Online

Click the button below to view and buy over 700,000 exciting ‘Spiritual & Religious’ products

700,000+ Products

 

FOLLOW US ON: