काल की करतूत – भक्त तुलसीदास जी दोहावली
करम खरी कर मोह थल अंक चराचर जाल|
हनत गुनत गनि गुनि हनत जगत ज्योतिषी काल||
प्रस्तुत दोहे में तुलसीदासजी कहते हैं कि संसार में कालरूपी ज्योतिषी हाथ में कर्मरूपी खड़िया लेकर मोहरूपी पट्टी पर चराचर जीवरूपी अंकों को मिटाता है, हिसाब लगाता है और फिर गिन-गिनकर मिटाता है|