कमाए हुए पुण्य को, कैसे समाप्त होने से बचाएं?
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसी कई सारी बाते लिखी गई है जो हमे बताती है कि, मनुष्य को अपने पूरे जीवन में ऐसा क्या नहीं करना चाहिए जिससे वो अपने कमाए हुए पुण्य को अनजाने में परंतु समाप्त ना कर लें।
शास्त्रों में गाय का महतव:
भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। पुराणों के अनुसार गाय अपने भीतर सभी देवताओं को समाहित हो हुई हैं।
गाय को किसी भी प्रकार से परेशान करना, तकलीफ पहुंचाना आदि, बातो को पापा माना गया है और गो हत्या को तो जन्मो तक दुख भोगने के समान माना गया हैं।
अर्थदेव के अनुसार ‘ धेनु सदानाम रई नाम ‘
जिसका अर्थ है कि गाय को समृद्धि का मूल स्त्रोत माना है। वह सृष्टि के पोषण का स्त्रोत है , गाय से हमे सवस्थ गुणों से भरा दूध मिलता है , गाय के गोबर जिससे हमे खाद मिलती है, और गो मूत्र जिससे दवाएं बनाई जाती हैं।
गाय का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि वो हमारे लिए पोषण का स्त्रोत है , बल्कि इसलिए पूजनीय हैं क्योंकि मान्यताओं के अनुसार ८४ लाख योनियों का सफर करके आत्मा अंतिम योनि के रूप में गाय बनती है, जहा आत्मा विश्राम करके आगे यात्रा शुरुआत करती है।
तुलसी का महतव:
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार तुलसी का बहुत महत्व है क्योंकि तुलसी अपमान स्वयं ईश्वर भी नहीं के सकते ,कहा जाता है कि तुलसी का अपमान तब भी होता है जब घर के आंगन में तुलसी हो हम उनकी देखभाल ना करे यानी उनकी नियमित रूप से पूजा पाठ और जल ना डाले। धार्मिक कार्यों में पूजी जाने वाली तुलसी, विज्ञान की दृष्टि से एक बहुत ही फायदेमंद औषधि भी है।
तुलसी के कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- तुलसी का पौधा मंदिर या घर के आंगन में लगाया जाता है, तुलसी के पत्ते सिर्फ विष्णु जी को ही अर्पित किए जाते है, शिव जी या गणेश जी को कभी भी तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं किए जाते है।
- तुलसी में जल चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।
- शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी के पत्ते कुछ दिन है जिन्में नहीं तोड़ना चाहिए जैसे – रविवार, एकादशी, सूर्य या चंद्रग्रहण और ना ही बिना किसी वजह से आदि।
– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
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