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बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए – प्रदीप कुमार सिंह

बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए

भारत की तकनीकी प्रगति को चिह्नित करने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने के लिए 11 मई को भारत भर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश में नवाचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के उपलक्ष्य में वर्ष 1999 से प्रत्येक वर्ष 11 मई इस दिवस का आयोजन करता है। इस अवसर देशभर में राष्ट्र की सेवा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सफलता का उत्सव मनाया जाता है।

ज्ञातव्य है कि यह दिवस 11 मई को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि प्राप्त होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह राजस्थान के पोखरण में 11 से 13 मई 1998 तक आयोजित आपरेशन शक्ति (पोखरण -2) परमाणु परीक्षण के पांच परमाणु परीक्षणों में से पहले परीक्षण की याद में हर वर्ष मनाया जाता है। आपरेशन का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था, जो तब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशक थे। पोखरण -2 के हिस्से के रूप में परमाणु परीक्षण करने के बाद, भारत को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा परमाणु राज्य घोषित किया गया था, जिसने भारत को राष्ट्रों के परमाणु क्लब में शामिल होने वाला छठा राष्ट्र तथा परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से नहीं जुड़ने वाला पहला देश बनाया।

हर साल 11 मई को भारत के तकनीकी विकास बोर्ड द्वारा उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत 10 लाख रूपये और ट्राफी भी दी जाती है। इस दिन हमारे देश की ताकत, कमजोरियों और लक्ष्यों पर विचार किया जाता है, जिससे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश को सही जानकारी प्राप्त हो सके। इससे भारत की प्रौद्योगीकीय क्षमता के विकास को बढ़ावा भी मिलता हैं।
भारत ने तो टेक्नोलाजी को सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण, समावेश, सक्षम सरकारी तंत्र और पारदर्शिता का माध्यम बनाया है। बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर बुढ़ापे की पेंशन तक की अनेक सुविधाएं आज आनलाइन हैं। 300 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं को उमंग एप के माध्यम से एक प्लेटफार्म पर लाया गया है। देशभर में 3 लाख से अधिक कामन सर्विस सेंटर्स से गांव-गांव में आनलाइन सेवाएं दी जा रही हैं।

आज के महान दिवस हमें मिसाइल मेन डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को स्मरण करना चाहिए। वह बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। डा. कलाम की पूरी जिन्दगी शिक्षा को समर्पित थी। बच्चों से रूबरू होना, स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाना व छात्र-छात्राओं से प्रेरणादायक बातें करना, डॉ. कलाम को बेहद पसंद था। उनका पूरा जीवन अनुभव और ज्ञान का निचोड़ था। डा. कलाम का कहना था कि अनजानी राह पर चलना ही साहस है। जब दिल में सच्चाई होती, तब चरित्र में सुन्दरता आती है। चरित्र में सुन्दरता से घर में एकता आती है।
अगर किसी भी देष को भ्रष्टाचार-मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देष बनाना है तो, हमारा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और शिक्षक ही ये कर सकते हैं। आज जरूरत इस बात की है हम छात्रों को नये-नये प्रयोग व आविष्कारों के लिए प्रोत्साहित करें। माता-पिता को बच्चों की जिज्ञासा व सृजनशक्ति की अवहेलना नहीं करनी चाहिए बल्कि उनको खाली समय में अपनी रूचि के अनुसार नई चीजें बनाने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।

डा. कलाम जानते थे कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र के समर्थ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है। उन्होंने हमेशा देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने की बात कही। उनके पास भविष्य का एक स्पष्ट खाका था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक ‘‘इंडिया 2020 : ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम’’ में प्रस्तुत किया। इंडिया 2020 पुस्तक में उन्होंने लिखा कि भारत को वर्ष 2020 तक एक विकसित देश और नॉलेज सुपरपॉवर बनाना होगा। उनका कहना था कि देश की तरक्की में मीडिया को गंभीर भूमिका निभाने की जरूरत है। नकारात्मक खबरें किसी को कुछ नहीं दे सकती लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें उम्मीदें जगाती हैं।

 

-प्रदीप कुमार सिंह, लेखक

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