आखिर क्या है कारण, लठमार होली के पीछे
ऐसे पूरे देश भर में होली का त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है, लेकिन होली की बात हो रही हो और मथुरा या वृंदावन को याद ना किया जाए ऐसा हो ही नहीं सकता। यूं तो पूरे देश में रंगो साथ ये त्योहार जोरो शोरो से खेला जाता है लेकिन मथुरा बरसाने में होली खेलने का अंदाज़ कुछ अलग है।
आइए जानते है क्या है अलग अंदाज :
श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की थी। जब नंदगांव की टोलियां पिचकारियां लिए बरसाना पहुंची तो उनपर वहा की महिलाओं ने खूब लठ बरसाए। पुरुषों को इन लठ से बचना भी होता था और महिलाओं को रंग से भिगोना भी होता था।
यह मान्यता है कि सबसे पहले होली श्री कृष्ण ने राधा के साथ खेली थी इसलिए पूरे क्षेत्र में बड़े हर्शोल्लास के साथ मनाई जाती है।
बरसाने की लट्ठमार होली पूरे जगत में नारी सशक्तिकरण का प्रमाण है। लठमार होली के बहाने ही महिलाओ ने अपनी आत्म रक्षा और सम्मान की रक्षा शुरू कर दी थी।
क्योंकि अगर अपनों पर प्रहार करने की दक्षता हासिल हो गई तो दुश्मनों पर प्रहार करना बेहद आसान हो जाता है।
– तेजस्वनी पटेल, पत्रकार
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