18 – जादुई जलपरी | Jadui Jalpari | Tilismi Kahaniya
कला- ” ठीक है तो अब आप लोग प्रस्थान कीजिए!”
करण- “जी देवी!”
और सभी लोग वहां से राजकुमारी अप्सरा की दरी पर बैठ कर उड़ कर चले जाते हैं।
टॉबी- ” मुझे तो उड़ने में बहुत मजा आ रहा है,,, देखिए ना राजकुमारी चंदा,,, ऊपर से नीचे का दृश्य कितना खूबसूरत लगता है!”
सुनहरी चिड़िया- ” हां आप ने बिल्कुल सही कहा!”
करमजीत- ” वास्तव में यह दुनिया बड़ी खूबसूरत है,,,,!”
बुलबुल- “हाँ, करमजीत!”
और इसी तरह सभी लोग वार्तालाप करते-करते अपनी यात्रा पर आगे निकलते हैं।
रानू- “अब हमें इस जगह पर रुकना होगा। दरी को जमीन पर ले जाओ।”
लव-कुश- “अरे क्या हुआ। फिर से कोई मुसीबत आ गयी है क्या।”
वधिराज- “नहीं दोस्तों डरो मत।”
तभी वो जमीन पर आ जाते हैं। वो सब एक जंगल मे उतरे थे।
रानू- “अच्छा मित्रों,, आप सभी से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा,,, लेकिन अब मेरा जाने का समय आ चुका है!”
लव-कुश- “नही! आप मत जाइए ना।”
बुलबुल- “हां रुक जाइये।”
रानू- “अभी जाना होगा मुझे। हम दोबारा मिलेंगे।”
करण- “आप का बहुत बहुत धन्यवाद हमारा साथ देने के लिए।”
रानू- “ठीक है दोस्तों!!
रानू- “अलविदा दोस्तों!!”
वधिराज- ” ठीक है रानू,,,, अब मैं तुम्हें अपना काम खत्म करने के बाद मिलूंगा!”
रानू की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
रानू- ” ठीक है वधिराज,,,, तुम अपना ध्यान रखना। अब मैं चलती हूं!”
टॉबी- “अलविदा,,,, रानू!!”
रानू (उस के सिर पर हाथ रख कर)- “अलविदा मेरे प्यारे छोटे मित्र!”
टॉबी अपनी पूंछ हिलाता है और रानू को चाटने लगता है।।
इस के बाद रानू सभी को अलविदा कह कर वहां से चली जाती है।
चिड़िया- ” वधिराज,, तुम परेशान मत हो जल्द ही हमारा काम खत्म हो जाएगा,, और इस सफर में आने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया!”
वधिराज- ” अरे नहीं राजकुमारी जी! आप की सेवा करना तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है, !”
और ऐसे ही सभी लोग आगे बढ़ते रहते हैं।
वधिराज- ” अब हमें थोड़ा रुक जाना चाहिए,,, क्योंकि आगे का सफर काफी लंबा है!”
करण- “तुम सही कहते हो,,वधिराज,, हम सभी को विश्राम की आवश्यकता है,, नहीं तो हम सब कमजोर पड़ जाएंगे!”
लव- “हाँ,,,,, मेरा तो शरीर पूरा जकड़ गया है,, और मुझे भूख भी बहुत लग रही है!”
कुश- ” हां मुझे भी!”
टॉबी- “मुझे भी,,,,!”
करण- “ठीक है,,,, राजकुमारी अप्सरा,,, कृपया हम सभी को नीचे उतार दीजिए!”
परी- ” हां करण अवश्य!”
फिर परी दरी को फिर से नीचे उतार देती है।
बुलबुल- ” यहां का वातावरण कितना सुंदर है,, मैंने अपनी पूरी जिंदगी में इतना सुंदर नजारा नहीं देखा!”
करमजीत- “वास्तव मे!”
परी- ” तो चलो सभी लोग भोजन कर लो!”
और इतना कहने के बाद परी अपनी छड़ी घुमाती है ,, जिस से सभी के सामने उन का पसंदीदा खाना आ जाता है।
लव- “वाह मेरे पसंदीदा मोतीचूर के लड्डू !! आ हा हा,, धन्यवाद राजकुमारी अप्सरा!”
परी- “खाओ खाओ!,, आप ही के लिए है!”
और सभी लोग भोजन करते हैं।
वधिराज- “चलो अब सो जाते हैं!”
चिड़िया- “हाँ,,,,वधिराज!”
सभी लोग सो जाते हैं,, और इस के कुछ घंटे बाद एक घटना घटित हो जाती है।
दरअसल अचानक से कुश की नींद खुल जाती है।
कुश (अपने गले को छूते हुए)- ” अरे मेरा लॉकेट कहा गया?”
वह उठ जाता है तभी उसे अचानक से बहुत ज़ोर की प्यास लगती है..और थोड़ा चल कर आगे की तरफ जाता है।
उस की नजर पास के एक तालाब पर जाती है जहां से एक चमकदार रोशनी आ रही थी…
वह तालाब के पास पहुंचता है।
कुश- ” जल्दी से जल पी लेता हूं!”
और बिना सोचे समझे पानी पी लेता है।
दरअसल युद्ध करते समय कुश का लॉकेट वहीं गिर गया था जिस के कारण जादूगर का जादू उस पर चल रहा था… और उसे प्यास उसी जादूगर के जादू के कारण लग रही थी…. ताकि वह उस मायावी तालाब के पास जा कर उसका पानी पी ले.
वहीं कुश के पानी पीने के बाद तालाब से एक स्त्री निकलती है।
जिस का आधा शरीर मछली है जो आधा शरीर इंसानी है।
स्त्री- ” तुम ने बिना मेरी अनुमति के मेरे तालाब का जल पिया है और अब तुझे मेरा श्राप झेलना होगा!”
कुश- “लेकिन! ऐसा मत कीजिये।!”
इस से पहले कि वह कुछ ओर बोल पाता वो स्त्री उसे एक मूर्ति में बदल देती है।
और यह सब कुछ टॉबी देख लेता है। वह जल्दी से सभी के पास जाता है और सारी बात बताता है.
तो सभी लोग जल्दी से कुश के पास आते हैं।
सभी लोग उसे मूर्ति बना देख कर डर जाते हैं.
करण- ” यह आप ने क्या किया?? इस में इस की क्या गलती? ”
स्त्री- ” जो भी व्यक्ति मेरी अनुमति के बिना मेरे तालाब का जल पिएगा,, उसका यही हाल होगा!”
चिड़िया- ” लेकिन देवी जी। उस बालक को तो इस बात की भनक भी नहीं थी ना??? ”
स्त्री- ” यह सब हमें नही जानना,,, उस ने गलती की है तो उसे उस का भुगतान भी करना होगा!”
करमजीत- ” लेकिन देवी जी,,,यह सोचिए कि उसे प्यास लगी थी। आप के तालाब के जल की जरूरत थी, इसलिए उस ने इस तालाब का जल पिया!”
बुलबुल- ” शायद मेरे दोस्त को आप के तलाब का जल काफी स्वादिष्ट लगा होगा, तभी उस ने पिया होगा।
स्त्री- ” मेरे इस तालाब का जल मीठा और ताजा है और कौन ऐसा व्यक्ति होगा जिसे मेरे तालाब का जल ना भाता हो?? ”
ऐसे ही सभी लोग उस स्त्री से मिन्नत करते हैं लेकिन वह किसी की सुनने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। और इसी बीच परी को एक उपाय सूझता है। वह करण को धीरे से बताती है।
करन (धीरे से)- ” ठीक है राजकुमारी!”
और तभी परी उस स्त्री से
परी- ” लेकिन देवीं हम आप को कुछ बताना चाहते हैं!”
स्त्री- ” क्या बताना चाहती हो? ”
परी- ” दरअसल मै एक ऐसे तालाब के बारे में जानती हूं जहां का जल आप के तालाब से भी मीठा है और स्वच्छ है!”
स्त्री (चौंकते हुए अपनी भौहें ऊपर कर के)- “अच्छा!!!,,, कौन सा तालाब है वो??? जरा हम भी तो जाने!”
और परी उस तालाब की बहुत तारीफ करती है.
परी- “दुनिया में सब से स्वादिष्ट जल उसी तालाब का है!”
स्त्री- ” नहीं सब से स्वादिष्ट जल मेरे तालाब का है!”
परी- “लेकिन यह तो आप का मानना है! मैंने उस तालाब का जल पिया है, बहुत ही स्वादिष्ट है।”
स्त्री- “असम्भव बिल्कुल असंभव,,,,, अगर ऐसा है तो मुझे उस जगह का पता बताएं! मैं स्वयम वहां जाकर देखूंगी
परी- ” नहीं देवी,,,, हम उस जगह का पता नहीं बता सकते हैं,,,, क्योंकि वह जगह काफी खुफिया है,,,!”
स्त्री- “हमें उस जगह का पता बताओ जल्दी,,,, इस के बदले तुम जो भी मांगोगी हम तुम्हें देंगे!”
परी- ” क्या वास्तव में ऐसा है? ”
स्त्री- “हाँ,,, ऐसा ही है,,, क्योंकि हम अपनी बातों से मुकरते नहीं!”
परी (मुस्कुरा कर)- ” ठीक है देवी जी,,,,, तो आप हमारे मित्र को माफ कर दीजिए और दोबारा से उसे मानव बना दीजिए!”
स्त्री- “ठीक है,,,, तो हम आप की इच्छा जरूर पूरी करेंगे!”
इस के बाद वो स्त्री कोई मंत्र पढ़ती है जिस से एक चमकदार रोशनी कुश की मूर्ति के ऊपर पड़ती है और कुश मूर्ति से ठीक हो कर फिर से इंसान बन जाता है।
कुश- ” मैं कहां हूं? मैं कहाँ हूँ। मुझे क्या हुआ था ”
लव (उसे गले लगा कर)- ” तुम पत्थर में बदल गए थे कुश!! लेकिन अब तुम ठीक हो,,,!”
बुलबुल भी बड़ी खुश होती है।
स्त्री (परी से)- “चलो अब तो बता दो,, कि वह जगह कहां है? जहां मेरे तालाब से भी मीठा जल मिलता है!!”
परी (हंसते हुए)- “अरे देवी,,, हमें क्षमा करिएगा!! हमें अपने मित्र के लिए आप से असत्य बोलना पड़ा….!”
स्त्री (गुस्से से)- ” हमारे साथ आप ने विश्वासघात किया है,,,, अब इस का अंजाम आप सभी को भुगतना होगा!”
चिड़िया- ” नही नही देवी जी। ऐसा ना कहें,, हम एक खास कार्य के लिए अपने सफर पर निकलें हैं,,, कृपया हमारा साथ दें!”
स्त्री- “चुप रहो अब तुम सब,,,, तुम सब धोखेबाज हो!”
और इतना कह कर वह स्त्री वहां से गायब हो जाती है।
परी- ” अब हम सब यहां से चलते हैं!”
वधिराज- “हाँ,,,, चलो,,,, मैं आशा करता हूं कि कुछ गड़बड़ ना हो आगे!”
और सभी लोग वापस अपनी जगह पर आ जाते हैं और वहां से निकलने का निर्णय लेते हैं।
तभी अचानक से धरती हिलने लग जाती है और सब लोग डर जाते हैं।
लव-कुश- “आ आ!! यह क्या हो रहा है।”
बुलबुल- ” लगता है भूकंप आया है!”
करण- ” सब लोग एक दूसरे को पकड़ कर सहारा दो।”
करमजीत- “यह भूकंप नहीं है! यह तो कुछ और ही लगता है।”
करण- ” हां कर्मजीत। मुझे लगता है यह उसी स्त्री का ही काम है।”
बुलबुल- ” अब हम क्या करें! हम से तो सीधा खड़ा भी नहीं रहा जा रहा।
सुनहरी चिड़िया भी जल्दी से करण के कपड़ों में जा कर छुप जाती है। तभी वधीराज की नजर तालाब की तरफ जाती है।
वधिराज (चिल्लाते हुए)- ” वह देखो तालाब में।”
और सब लोग देखते हैं कि तालाब का पानी भी जोर जोर से हिलता हुआ ऊपर की तरफ जा रहा था।
करण- “हमें जल्दी से जल्दी यहां से भागना होगा!”
बुलबुल- ” लेकिन धरती इतनी जोर से हिल रही है, हम कैसे भागेंगे।”
करमजीत- ” सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लो और भागो। वरना ये पानी हमे बहा ले जाएगा”
तो सभी एक दूसरे का हाथ पकड़ते हैं और यहां वहां हिलते डुलते हुए भागने की कोशिश करते हैं।
सभी पीछे मुड़ मुड़ कर देखते हैं तो तालाब का पानी हवा में काफी ऊंचा हो गया था और अब उन की तरफ आ रहा था।
लव कुश- “हे भगवान• इतनी बड़ी लहर। यह तो हमें साथ ही ले जाएगी।”
अप्सरा- ” हम ने उसी स्त्री से झूठ बोल कर बहुत बड़ी गलती कर दी करण। वह अपना बदला ऐसे ले रही है।”
करण- ” अब हमारे पास कोई उपाय नहीं है, सिवाय भागने के।”
तभी धरती हिलना बंद हो जाती है और वह बड़ी तेजी से भागते हैं।
लेकिन वह बड़ी लहर अभी भी उन की तरफ आ रही थी।
बुलबुल- “यह लहर तो बिल्कुल पास आ रही है। हम इस से नहीं बच पाएंगे।”
करमजीत- “भागते रहो पीछे मुड़ कर मत देखो।”
तभी उस लहर में से उस स्त्री की आवाज आती है।
स्त्री- “अभी सिर्फ शुरुआत है।”
और तभी वह लहर उन के ऊपर साधारण पानी की तरह गिर जाती है और किसी को भी कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता।
तो अगले एपिसोड में अब हम देखेंगे कि आखिर वह स्त्री इन सब के साथ क्या कहने वाली है!!!