नाल शराबे रँग मुसल्ला
जब फ़ारस के मशहूर सूफ़ी महात्मा ख़्वाजा हाफ़िज़ ने अपने दीवान में कहा कि ‘ब मै सज्जादाह रंगीं क़ुन गरत पीरे-मुग़ां गोयद’ यानी अगर मुर्शिद हुक्म दे तो शराब में मुसल्ला रँग ले, तो इस बात पर हंगामा मच गया, क्योंकि क़ुरान मजीद के अनुसार मुसलमानों में शराब हराम मानी जाती है और ऐसी बात कहना कुफ़्र है|