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ज्ञान के साथ ही उस पर बुद्धिमत्तापूर्वक चलना और एक्शनकरना भी आवश्यक है:-

परमात्मा ने दो तरह की योनियाँ बनायी हैं – पहला पशु योनियाँ तथा दूसरा मानव योनि। हिन्दु शास्त्रों के अनुसार  84 लाख पशु योनियों में अगिनत वर्षों तक कष्टमय जीवन बीताने के बाद मानव योनि में जन्म बड़े सौभाग्य से मिलता है।

माया क्या है? भ्रम| जो दिख रहा है, वह सत्य लगता है, यह भ्रम है| शरीर ही सबकुछ है, भ्रम है| नष्ट हो जाने वाली वस्तुएं शाश्वत हैं, भ्रम है| मकान-जायदाद, मेरी-तेरी, भ्रम है| रिश्ते-नाते सत्य हैं, भ्रम है… यही माया है|

(1)     यह शरीर और उसके सारे अंग हमें प्रभु का कार्य करने के लिए मिले हैं:-

दामोदर को सांप के काटने और साईं बाबा द्वारा बिना किसी मंत्र-तंत्र अथवा दवा-दारू के उसके शरीर से जहर का बूंद-बूंद करके टपक जाना, सारे गांव में इसी की ही सब जगह पर चर्चा हो रही थी|

बाबा को द्वारिकामाई मस्जिद में आए अभी दूसरा ही दिन था कि अचानक मस्जिद के दूसरे छोर पर शोर मच गया – “काट लिया! काट लिया! काले नाग ने काट लिया|”

श्री साईं बाबा व्रत के फलस्वरूप निम्नलिखित लाभ व फल प्राप्त हो सकते है: पुत्र की प्राप्ति, कार्य सिद्धि, वर प्राप्ति, वधु प्राप्ति, खोया धन मिले, जमीन जायदात मिले, धन मिले, साईं दर्शन, मन की शान्ति, शत्रु शांत होना, व्यापार में वृद्धि, बांझ को भी बच्चे की प्राप्ति हो, इच्छित वास्तु की प्राप्ति, पति का खोया प्रेम मिले, परीक्षा में सफलता, यात्रा का योग, रोग निवारण, कार्य सिद्धि, सर्व मनोकामना पूर्ती, इत्यादि|

साईं बाबा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए अनेक शिक्षाएं अपने श्रीमुख से उच्चारित कीं, बाबा की इन सिक्षाओं में समस्त ग्रंथो का सार है| जो भी व्यक्ति बाबा की इन सिक्षाओं को अपनी जिन्दगी में उतार लेगा, वह इस भवसागर से पार उतर जाएगा|