हमें प्रभु सम्मत व पवित्र कर्म करते हुए अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करना है!
हमें अपनी आत्मा का दीया जलाना है!
एक कमरे में अंधेरा था। जब उसमें एक व्यक्ति गया तो उसे यह पता ही नहीं था कि उस कमरे मंे क्या-2 रखा है। उस कमरे में कही कुर्सी रखी है तो कहीं मेज रखी है। तो वह टक्टर खाता हुआ, धक्का खाता हुआ, टो-टोकर चलता रहता है। लेकिन जैसे ही किसी ने उस कमरे में लाइट की स्वीच आॅन की उस व्यक्ति को कमरे में रखी हुई सभी चीजें दिखाई देने लगती है। इस प्रकार बल्ब के रूप में भौतिक दीया जो जलता है उससे हम यह प्रेरणा लेते हैं कि हमारा जो आत्मा का दीया है वो जले ताकि हमें दिखाई दे कि दुनिया है क्या? इसके लिए परमपिता परमात्मा समय-समय पर अपने दिव्य शिक्षकों को इस पृथ्वी पर अपना दिव्य ज्ञान देने के लिए भेजते रहते हैं।