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आज हम इंटरनेट तथा सैटेलाइट जैसे आधुनिक संचार माध्यमों से लैस हैं। संचार तकनीक ने वैश्विक समाज के गठन में अहम भूमिका अदा की है। हम समझते हैं कि मानव इतिहास में यह एक अहम घटना है। हम एक बेहद दिलचस्प युग में जी रहे हैं। आओ, हम सब मिलकर एक अच्छे मकसद के लिए कदम बढ़ाएं। पिछले कुछ साल से विभिन्न देशों की दर्दनाक घटनाएं इंटरनेट के जरिये दुनिया के सामने आ रही हैं। इनसे एक बात तो तय हो गई कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, हम सब एक ही समुदाय का हिस्सा हैं। इंटरनेट ने मानव समुदाय के बीच मौजूद अदृश्य बंधनों को खोल दिया है। दरअसल हम सबके बीच धर्म, नस्ल और राष्ट्र से बढ़कर आगे भी कोई वैश्विक रिश्ता है और वह रिश्ता नैतिक भावना पर आधारित है। यह नैतिक भावना न केवल हमें दूसरों का दर्द समझने, बल्कि उसे दूर करने की भी प्रेरणा देती है। यह भावना हमें प्रेरित करती है कि अगर दुनिया के किसी कोने में अत्याचार और जुल्म हो रहा है, तो हम सब उसके खिलाफ खड़े हों और जरूरतमंदों की मदद करें। 

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पद छोड़ने से पूर्व राष्ट्र के नाम अपने आखिरी संबोधन में देश के समक्ष उत्पन्न खतरों को लेकर आगाह किया। 20 जनवरी 2017 को देश के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी जनता मुस्लिमों समेत सभी अल्पसंख्यकों और अश्वतों से भेदभाव सहन नहीं करेगा। ओबामा ने माना कि आर्थिक असमानता के कारण नस्लीय विभाजन में तेजी आई है। अल्पसंख्यकों और लैटिन मूल के अमेरिकी नफरती हमलों का शिकार हुए हैं। इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए उन्होंने ठोस कानून व्यवस्था, शिक्षा, नौकरियों और घर के अलावा हृदयों में एकता लाने की वकालत की। उन्होंने अपनी पत्नी मिशेल को बीते 25 साल से पत्नी, बच्चों की मां होने के साथ-साथ अच्छी दोस्त भी बताया। मिशेल का नाम ले वे रो पड़े। ओबामा का अपनी पत्नी के प्रति अत्यधिक सम्मान की भावना अनुकरणीय है। विश्व के एक सुलझे हुए वल्र्ड लीडर ओबामा की न्यायपूर्ण तथा हृदयों की एकता की नसीहत से अमेरिका सहित सभी देशों को सीख लेनी चाहिए।

(1) शरीर को प्रकृति से पोषण मिलता है तथा जीवनीय शक्ति आत्मा से मिलती है:-

पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पंचतत्वों से इस शरीर की रचना हुई है। शरीर को रोजाना पौष्टिक भोजन देकर तथा पंचतत्वों में संतुलन रखकर हम उसे लम्बी आयु तक हष्ट-पुष्ट तथा निरोग रखते है। लेकिन हम आत्मा को हर पल भोजन न देने की सबसे बड़ी भूल कर बैठते है। इस कारण से आत्मा कमजोर तथा मलिन हो जाती है। हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि आत्मा का भोजन क्या है? आत्मा का भोजन लोक कल्याण की पवित्र भावना से अपनी नौकरी या व्यवसाय द्वारा हर पल अपनी आत्मा का विकास करके शरीर को जीवनीय शक्ति देना है। इस प्रयास से आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप शुद्ध, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित बनी रहती है। ऐसी पूर्णतया गुणात्मक आत्मा शरीर की मृत्यु के पश्चात् प्रभु मिलन की अपनी अंतिम मंजिल को प्राप्त करती है। मनुष्य द्वारा अपवित्र कार्यों द्वारा मलिन की गयी गुणविहीन कमजोर आत्मा प्रभु मिलन की अपनी अंतिम मंजिल को प्राप्त न करने के कारण युगों-युगों तक विलाप करती है। 

संत राजिंदर सिंह जी महाराज का कहना है कि आध्यात्मिकता यह मान्यता है कि बाहरी नामों और लेबल से हम आत्मा हैं, एक निर्माता का एक हिस्सा। जैसे, हम सभी एक बड़े परिवार के सदस्य हैं।

प्लासी के युद्ध-क्षेत्र में एक ओर बंगाल-बिहार के सूबेदार नवाब सिराजुद्दौला की फौज खड़ी थी| उसके मुकाबले अंग्रेजों के सेनाध्यक्ष क्लाइव की सेना थी|

स्वामी दयानंद सरस्वती का जनम १२ फरवरी १८२४ मे मोरबी (मुंबई) के पास काथियावाद शेत्र. गुजरात मे हुआ था| उनके पिता जी का नाम करशन जी लाल जी तिवारी और माँ का नाम यशोदा बाई था| ब्राह्मण परिवार मे जन्मे मूलशंकर एक अमीर , समृद्ध अथवा प्रभावशाली व्यक्ति थे| इनका प्रारंभिक जीवन बहुत आराम से बीता परन्तु पंडित बनने के लिए वे संस्कृत , वेद , शास्त्रों एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्यन मे लग गए| 

दादाजी और दादीजी के प्रेम, कहानियों और दयालु शिक्षाओं ने भगवान कृष्ण के बारे में भगवान कृष्ण के प्रति अत्यधिक समर्पण और भक्ति विकसित की और राधे कृष्ण के भक्ति के प्रति अपना जीवन समर्पित करने के लिए एक चुंबकीय भावना विकसित की।

फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर देश में नशीली दवाओं की तस्करी नहीं रूकी तो सैनिक शासन लागू होगा। एक बैठक के दौरान उन्होंने देश में भयावह होती ड्रग्स की समस्या पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नशीली दवा के कारण देश के 40 लाख लोग प्रभावित हैं। यदि यह समस्या अधिक गंभीर हुई तो मैं मार्शल लाॅ की घोषणा करूंगा। दुतेर्ते न सुप्रीम कोर्ट और कांग्रेस का हवाला देते हुए कहा, हमें इस संबंध में कोई नहीं रोक सकता है। मेरा देश हर चीज से बढ़कर है। नशीली दवा तस्करों के खिलाफ चलाए अभियान में गत वर्ष जुलाई से अब तक छह हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 10 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है। 

(1) ‘होली’ भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार:

भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके, लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना होता है। यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। परम पिता परमात्मा से हमारी प्रार्थना है कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

उन्होंने स्वामी टेनारम आश्रम में रहने और आध्यात्मिक और समर्पण के साथ गुरु की सेवा से आध्यात्मिक जीवन शुरू किया। जल्द ही हिंदी और संस्कृत में उनकी रुचि स्वामी शांती प्रकाश ने देखी और उनके भविष्य के लिए स्वामीजी ने उच्च शिक्षा और हिंदू धार्मिक किताबों की शिक्षा के लिए उन्हें वाराणसी भेजने का फैसला किया।