जब जब राम ने जन्म लिया तब तब पाया वनवास| (हमने उन्हें भारी कष्ट देकर बार-बार मारा किन्तु वे मानव कल्याण के लिए फिर-फिर जी उठे)
(1) जब-जब राम ने जन्म लिया तब-तब पाया वनवास:
आज से 7500 वर्ष पूर्व राम जन्म अयोध्या में हुआ। राम ने बचपन में ही प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया और उन्होंने अपने शरीर के पिता राजा दशरथ के वचन को निभाने के लिए हँसते हुए 14 वर्षो तक वनवास का दुःख झेला। लंका के राजा रावण ने अपने अमर्यादित व्यवहार से धरती पर आतंक फैला रखा था। राम ने रावण को मारकर धरती पर मर्यादाओं से भरे ईश्वरीय समाज की स्थापना की। कृष्ण का जन्म 5000 वर्ष पूर्व मथुरा की जेल में हुआ। कृष्ण के जन्म के पहले ही उनके मामा कंस ने उनके माता-पिता को जेल में डाल दिया था। राजा कंस ने उनके सात भाईयों को पैदा होते ही मार दिया। कंस के घोर अन्याय का कृष्ण को बचपन से ही सामना करना पड़ा। कृष्ण ने बचपन में ही ईश्वर की इच्व्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया और उनमें अपार ईश्वरीय ज्ञान व ईश्वरीय शक्ति आ गई और उन्होंने बाल्यावस्था में ही कंस का अंत किया। इसके साथ ही उन्होंने कौरवों के अन्याय को खत्म करके धरती पर न्याय की स्थापना के लिए महाभारत के युद्ध की रचना की। बचपन से लेकर ही कृष्ण का सारा जीवन संघर्षमय रहा किन्तु धरती और आकाश की कोई भी शक्ति उन्हें प्रभु के कार्य के रूप में धरती पर न्याय आधारित साम्राज्य स्थापित करने से नहीं रोक सकी। जब-जब अवतार मानव जाति का कल्याण करने के लिए राम, कृष्ण, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह के रूप में धरती पर आते हैं तब-तब हम उनको वनवास, जेल, सूली आदि देकर तरह-तरह से बहुत कष्ट देते हैं। अज्ञानतावश हमने परमात्मा को विभिन्न धर्मो के पूजा-स्थलों मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरूद्वारे में बांट दिया है।