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महाभारत का भयंकर युद्ध चल रहा था। लड़ते-लड़के अर्जुन रणक्षेत्र से दूर चले गए थे। अर्जुन की अनुपस्थिति में पाण्डवों को पराजित करने के लिए द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया।

एक गरीब ब्राह्मण था| उसको अपनी कन्या का विवाह करना था| उसने विचार किया कि कथा करने से कुछ पैसा आ जायगा तो काम चल जायगा| ऐसा विचार करके उसने भगवान् राम के एक मन्दिर में बैठकर कथा आरम्भ कर दी| उसका भाव यह था कि कोई श्रोता आये, चाहे न आये, पर भगवान तो मेरी कथा सुनेंगे ही!