Chapter 128
“The king said, ‘I am a king called by the name of Viradyumna. My famehas spread in all directions. My son Bhuridyumna hath been lost.
“The king said, ‘I am a king called by the name of Viradyumna. My famehas spread in all directions. My son Bhuridyumna hath been lost.
महाभारत का भयंकर युद्ध चल रहा था। लड़ते-लड़के अर्जुन रणक्षेत्र से दूर चले गए थे। अर्जुन की अनुपस्थिति में पाण्डवों को पराजित करने के लिए द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया।
1 अर्जुन उवाच
किं तद बरह्म किम अध्यात्मं किं कर्म पुरुषॊत्तम
अधिभूतं च किं परॊक्तम अधिदैवं किम उच्यते
“Sanjaya said, ‘Beholding Alayudha of terrible deeds come to battle, allthe Kauravas became filled with delight. Similarly, thy sons havingDuryodhana for their head, (were filled with delight) like raftless mendesirous of crossing the ocean when they meet with a raft.
“Vaisampayana said, ‘Thus insulted by the Suta’s son, that illustriousprincess, the beautiful Krishna, eagerly wishing for the destruction ofVirata’s general, went to her quarters.
“Krishna continued,–‘hearing these words of the king, the Rakshasa womananswered–Blessed be thou, O king of kings. Capable of assuming any format will. I am a Rakshasa woman called Jara. I am living, O king, happilyin thy house, worshipped by all.
परमसुख अपने परिवार के साथ सुख से रहता था| उसकी तीन लड़कियाँ थी| एक दिन उसका अकास्मिक निधन हो गया|
एक गरीब ब्राह्मण था| उसको अपनी कन्या का विवाह करना था| उसने विचार किया कि कथा करने से कुछ पैसा आ जायगा तो काम चल जायगा| ऐसा विचार करके उसने भगवान् राम के एक मन्दिर में बैठकर कथा आरम्भ कर दी| उसका भाव यह था कि कोई श्रोता आये, चाहे न आये, पर भगवान तो मेरी कथा सुनेंगे ही!
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ
दुर्गा है मेरी माँ अम्बे है मेरी माँ