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बहुत समय पहले की बात है| एक गुरु अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे| वे अपने शिष्यों से बहुत स्नेह करते थे और उन्हें सदैव प्रकृति के समीप रहने की शिक्षा दिया करते थे|

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||

एक बाबाजी घूमते-फिरते एक शहर में पहुँचे| रात हो गयी थी| सरदी के दिन थे| शहर का दरवाजा बंद हो गा था| बाबाजी को ठण्ड लगी| गरम कपड़ा पास में था नहीं| बाबा जी ने सोने के लिये जगह देखी| एक भड़भूँजे की भट्ठी थी|