अध्याय 49
1 [ज]
अस्त्रहेतॊर गते पार्थे शक्र लॊकं महात्मनि
युधिष्ठिरप्रभृतयः किम अकुर्वन्त पाण्डवाः
किसी पर्वतीय प्रदेश में वानरों का एक समूह निवास करता था| एक वर्ष हेमन्त ऋतु में भयंकर वायु चलने लगी| उसके साथ ही वर्षा आरम्भ हुई और हिमपात भी होने लगा|
“Yudhishthira said, ‘I desire, O chief of the Bharatas, to hear from theewhat the rewards are which are attached, O best of the Kurus, to theplanting of trees and the digging of tanks.’
“Yudhishthira said, ‘O grandsire, thou hast now finished thy discourseupon the duties of kings. From what thou hast said it seems thatChastisement occupies a high position and is the lord of everything foreverything depends upon Chastisement.
1 [वयास]
गन्धान रसान नानुरुन्ध्यात सुखं वा; नालंकारांश चाप्नुयात तस्य तस्य
मानं च कीर्तिं च यशश च नेच्छेत; स वै परचारः पश्यतॊ बराह्मणस्य
किसी वन में चतुर्दन्त नाम का एक हाथियों का राजा रहता था। उस वन में एक बार वर्षा नहीं हुई तो फिर कई वर्षों तक सूखा ही पड़ा रहा। उसका परिणाम यह हुआ कि वहां के सभी छोटे-छोटे तालाब और पोखर आदि सूख गए।
1 धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्डवाश चैव किम अकुर्वत संजय
“Sanjaya said, ‘In that fierce and terrible battle, Dhrishtadyumna, Oking, proceeded against Drona.
1 [स]
तद देव नागासुरसिद्धसंघैर; गन्धर्वयक्षाप्सरसां च संघैः
बरह्मर्षिराजर्षिसुपर्णजुष्टं; बभौ वियद विस्मयनीय रूपम