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एक वन के किसी भाग में एक वृक्ष था| उसकी एक लम्बी शाखा पर घोंसला बनाकर चटक दम्पत्ति निवास करती थी| उनका जीवन बड़ा सुखमय बीत रहा था| एक बार हेमन्त ऋतु की बात है कि एक दिन सहसा मन्द-मन्द वर्षा होने लगी| कहीं से ठण्ड में ठिठुरता हुआ एक बन्दर आकर उस वृक्ष की जड़ में बैठ गया| ठण्ड से उसके दांत किटकिटा रहे थे| उसे देखकर चिड़िया ने कहा, ‘भद्र! देखने में तुम हष्ट-पुष्ट हि लगते हो| फिर भी इतना कांप रहे हो| तुम अपना कोई घर ही क्यों नहीं बना लेते?’

गूलर को उदुम्बर, उम्बर, अंजेर आदम और किमुटी भी कहते हैं| गूलर की विशेषता यह है कि इसके फूल दिखाई नहीं देते| इसकी शाखाओं पर केवल फल दिखाई देते हैं|