त्याग में सुख
किसी नगर के छोर पर एक छोटी सी कुटिया में एक साधु रहता था| वह हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहता था| नगरवासी उसका बहुत आदर करते थे|
किसी नगर के छोर पर एक छोटी सी कुटिया में एक साधु रहता था| वह हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहता था| नगरवासी उसका बहुत आदर करते थे|
पाण्डवों को एकचक्रा नगरी में रहते कुछ काल व्यतीत हो गया तो एक दिन उनके यहाँ भ्रमण करता हुआ एक ब्राह्मण आया। पाण्डवों ने उसका यथोचित सत्कार करके पूछा, “देव! आपका आगमन कहाँ से हो रहा है?” ब्राह्मण ने उत्तर दिया, “मैं महाराज द्रुपद की नगरी पाञ्चाल से आ रहा हूँ। वहाँ पर द्रुपद की कन्या द्रौपदी के स्वयंवर के लिये अनेक देशों के राजा-महाराजा पधारे हुये हैं।” पाण्डवों ने प्रश्न किया, “हे ब्राह्मणोत्तम! द्रौपदी में क्या-क्या गुण तथा विशेषताएँ हैं?”
Vaishampayana said, “After the ladies had been dismissed, Dhritarashtra,the son of Ambika, plunged into grief greater than that which hadafflicted him before, began, O monarch, to indulge in lamentations,exhaling breaths that resembled smoke, and repeatedly waving his arms,and reflecting a little, O monarch, he said these words.
अपने आप को धर्म और भगवान से ऊँचा मानने वाला हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था । वह चाहता था कि सब लोग उसे ही भगवान मानें और उसकी पूजा करें । पर हिरण्यकश्यप के पुत्र ने उसे भगवान मानने से साफ इनकार कर दिया । बहुत यातना व अत्याचार के बाद भी वह वह स्वयंभू अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद से अपने को भगवान कहलाने में असफल रहा । हार कर अन्त में उसने प्रह्लाद को जान से मारने का तरीका सोचा ।
किसी नगर में जीर्णधन नाम का एक वैश्य रहता था| कुछ ऐसा हुआ कि उसका सारा धन नष्ट हो गया और वह सर्वथा निर्धन हो गया| इससे जहां उसको कष्ट होता था वहां उसको ग्लानि भी होने लगी थी|
“Yudhishthira said, ‘People accept with affection the declarations of theSrutis which say, ‘This is to be given.’ ‘This other thing is to begiven!’ As regards kings, again, they make gifts of various things untovarious men. What, however, O grandsire, is the best or foremost of allgifts.’
“Bhishma said, ‘The dog transformed into a tiger, gratified with theflesh of slain beasts, slept at his ease.