माटी कुदम क्रेंदी – काफी भक्त बुल्ले शाह जी
माटी कुदम क्रेंदी यार
वाह-वाह माटी दी गुलज़ार| टेक|
एक बार की बात है एक जिज्ञासु साधक सच्चे आनंद की तलाश में एक महात्मा के पास गया| महात्मा जी से उसने बहुत आग्रह से प्रार्थना की कि वह सच्चे आनंद पर प्रकाश डालें| "सच्चा आनन्द" सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio Your
प्राचीन समय में राजा सुरथ नाम के राजा थे, राजा प्रजा की रक्षा में उदासीन रहने लगे थे, परिणाम स्वरूप पडौसी राजा ने उस पर चढाई कर दी, सुरथ की सेना भी शत्रु से मिल गयी थी, परिणामस्वरूप राजा सुरथ की हार हुयी, और वह जान बचाकर जंगल की तरफ़ भागा।
“Sanjaya said, ‘Hearing these words of the (Kuru) king, the valiantmonarch (Shalya), O king, said these words unto Duryodhana in reply, “Omighty-armed Duryodhana, listen to me, O foremost of eloquent men.
एक शहर में चार साधु आये| एक साधु शहर के चौराहे में जाकर बैठ गया, एक घण्टाघर में जाकर बैठ गया, एक कचहरी में जाकर बैठ गया और एक श्मशान में जाकर बैठ गया|
“Yudhishthira said, ‘What acts should be done by a king, and what arethose acts by doing which a king may become happy? Tell me this indetail, O thou that art the foremost of all persons acquainted withduties.’
“Yudhishthira said, ‘I have heard, O sire, of the merits of the differentkinds of gift upon which thou hast discoursed to me.
1 [य]
सूक्ष्मं साधु समादिष्टं भवता धर्मलक्षणम
परतिभा तव अस्ति मे का चित तां बरूयाम अनुमानतः
1 [स]
पीडिते धर्मराजे तु मद्रराजेन मारिष
सात्यकिर भीमसेनश च माद्रीपुत्रौ च पाण्डवौ
परिवार्य रथैः शल्यां पीडयाम आसुर आहवे