अध्याय 6
1 [धृ]
नदीनां पर्वतानां च नामधेयानि संजय
तथा जनपदानां च ये चान्ये भूमिम आश्रिताः
“Bhishma said, ‘Hearing, O bull of Bharata’s race, those words ofSikhandini, afflicted by destiny, that Yaksha, said after reflecting inhis mind, these words, ‘Indeed, it was ordained to be so, and, O Kaurava,it was ordained for my grief!’
“Sanjaya said, ‘Beholding the sons of Drupada, as also those ofKuntibhoja, and Rakshasas too in thousands, slain by the son of Drona,Yudhishthira and Bhimasena, and Dhrishtadyumna, the son of Prishata, andYuyudhana, uniting together, set their hearts firmly on battle.
“Vaisampayana said, ‘Desirous of living in the forest, those bulls of theBharata race, the Pandavas, with their followers, setting out from thebanks of the Ganges went to the field of Kurukshetra.
Om! Having bowed down to Narayana, and Nara the foremost of male beings,and the goddess Saraswati also, must the word Jaya be uttered.
राजा ब्रह्मादत्त वाराणसी या काशी में शासक थे| उनके अमात्य बोधिसत्व थे| एक बार राजमहल की रानियाँ कपड़े और गहने उतार और उन्हें दासी को सौंपकर सरोवर में स्नान करने लगी| दासी को ऊंघती देखकर एक बंदरिया मुक्ताहार ले भागी| जागने पर मुक्ताहार न देखकर दासी चिल्लाई- “एक आदमी मुक्ताहार लेकर भाग गया|”
यह भारतीय नारी के हाथ-पैरों के श्रृंगार के प्रतीक के रूप में ही नहीं, बल्कि शरीर के स्वास्थ्य के रूप में भी विख्यात है| साथ ही यह नारी के सौभाग्य का चिह्न भी है, निरोगता का साधन भी है| इसके पत्ते वमन कारक, कफ निस्सारक, शरीर की दाह को शांत करने वाले एवं कुष्ठ में लाभप्रद हैं| इस के फूल उत्तेजक, हृदय तथा मज्जा-तंतुओं को बलशाली बनाते हैं| बीज मलारोधक, ज्वरनाशक और उन्माद में लाभ पहुंचाने वाले होते हैं| यह शीतवीर्य है|
एक समय की बात है| अचानक ओलों की वर्षा से सारी फसल नष्ट हो गई| कुरू प्रदेश में एक गाँव में हाथीवान रहते थे|
Sanjaya said, “When the troops, slaughtered by one another, were thusagitated, when many of the warriors fled away and the elephants began toutter loud cries, when the foot-soldiers in that dreadful battle began toshout and wail aloud, when the steeds,