अध्याय 20
1 [स]
तस्मिंस तु निहते शूरे शाल्वे समितिशॊभने
तवाभज्यद बलं वेगाद वातेनेव महाद्रुमः
“Bhishma said, ‘Drupada, O chastiser of foes, bestowed great attention oneverything in connection with that daughter of his, teaching her writingand painting and all the arts.
“Dhritarashtra said, ‘Having said all those words unto my son,Duryodhana, who is ever disobedient to my commands, when that mightybowman endued with great strength, viz.,
“Vyasa said, ‘O wise Dhritarashtra, hear what I say! I will tell theethat which is for the great good of all the Kauravas! O thou of mightyarms, it hath not pleased me that the Pandavas have gone to the forestdishonestly defeated (at dice) by Duryodhana and others!
नारंगी एक फल है। नारंगी को हाथ से छीलने के बाद पेशीयोँ को अलग कर के चूसकर खाया जा सकता है। नारंगी का रस निकालकर पीया जा सकता है। और शरीर को भरपूर शक्ति मिलती है। इसके सेवन से न केवल पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है बल्कि बॉडी में उत्साह और स्फूर्ति का संचार होता है।
एक बार की बात है| किसी जंगल में एक लोमड़ी रहती थी| वह बहुत चालाक थी| एक दिन उस लोमड़ी को बड़ी तेज भूख लगी|
इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार किया था। कथा इस प्रकार है-
“Sanjaya said, ‘Meanwhile Arjuna, in that battle, pierced with manyarrows by the son of Drona as also by the latter’s followers, the heroicand mighty car-warriors among the Trigartas, pierced Drona’s son inreturn with three shafts, and each of the other warriors with two.