अध्याय 39
1 [स]
शरविक्षतगात्रस तु परत्यमित्रम अवस्थितम
अभिमन्युः समयन धीमान दुःशासनम अथाब्रवीत
तानसेन और बीरबल में किसी बात को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया| दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अटल थे| हल निकलता न देख दोनों बादशाह की शरण में गए| बादशाह अकबर को अपने दोनों रत्न प्रिय थे| वे किसी को भी नाराज नहीं करना चाहते थे, अत: उन्होंने स्वयं फैसला न देकर किसी और से फैसला कराने की राय दी|
‘Brahma said,–‘Listen, O son, as to how that Purusha is indicated. He iseternal and immutable. He is undeteriorating and immeasurable. Hepervades all things.
खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं नहीं वरन् यह दूसरे रोगों का लक्षण मात्र है| खांसी पांच प्रकार की होती है – तीन प्रकार की खांसी वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से, चौथी कीड़ों में उत्पन्न होने से और पांचवीं टी.बी. रोग से|
1 [सूत]
जनमेजयः पारिक्षितः सह भरातृभिः कुरुक्षेत्रे दीर्घसत्त्रम उपास्ते
तस्य भरातरस तरयः शरुतसेनॊग्रसेनॊ भीमसेन इति
माता सरस्वती जी को ज्ञान और बुद्धि की माता माना जाता है| मनुष्य को कोई भी ज्ञान इनकी पूजा के बिना संभव नहीं है| देवी सरस्वती वेदों की जननी है| कोई भी बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं पा सकता। लोग पूजा के बाद देवी सरस्वती जी की आरती सम्पूर्ण ज्ञान और बुद्धि के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिये करते है।