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प्राय: भगवान श्रीकृष्ण की पटरानियां ब्रजगोपियों के नाम से नाक-भौं सिकोड़ने लगतीं| इनके अहंकार को भंग करने के लिए प्रभु ने एक बार एक लीला रची| नित्य निरामय भगवान बीमारी का नाटक कर पड़ गए| नारद जी आए| वे भगवान के मनोभाव को समझ गए| उन्होंने बताया कि इस रोग की औषधि तो है, पर उसका अनुपान प्रेमी भक्त की चरण-रज ही हो सकती है| रुक्मिणी, सत्यभामा सभी से पूछा गया| पर पदरज कौन दे प्रभु को| भगवान ने कहा, “एक बार ब्रज जाकर देखिए तो|”

“Vaisampayana said, ‘After Bhima had pledged himself to accomplish thetask, saying, ‘I will do it,’ the Pandavas, O Bharata, returned home withthe alms they had obtained during the day. Then Yudhishthira, the son ofPandu from Bhima’s countenance alone, suspected the nature of the task hehad undertaken to accomplish.

धृतराष्ट्र के एक वैश्य वर्ण की पत्नी थी| उसी के गर्भ से युयुत्सु का जन्म हुआ था| युयुत्सु का स्वभाव गांधारी के सभी पुत्रों से बिलकुल अलग था| वह आपसी कलह और विद्वेष का विरोधी था और सदा धर्म और न्याय की बातें करता था, लकिन चूंकि सत्ता गांधारी के पुत्रों के हाथ में थी, इसलिए कोई भी इसकी नहीं सुनता था|

पुराण में एक बहुत सुन्दर कथा आती है| एक जंगल में एक तालाब था| उस जंगल के पशु उसी तालाब में पानी पीने आया करते थे| एक दिन एक शिकारी उस तालाब के पास आया| उसने तालाब में हाथ-मुँह धोकर पानी पिया|