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“Kunti said, Grieve not at all, O Brahmana, on account of this danger. Isee a way by which to rescue thee from that Rakshasa. Thou hast only oneson, who, besides, is of very tender years, also only one daughter, youngand helpless, so I do not like that any of these, or thy wife, or eventhyself should go unto the Rakshasa. I have five sons, O Brahmana, letone of them go, carrying in thy behalf tribute of that Rakshasa.’

कर्ण कुंती का पुत्र था| पाण्डु के साथ कुंती का विवाह होने से पहले ही इसका जन्म हो चुका था| लोक-लज्जा के कारण उसने यह भेद किसी को नहीं बताया और चुपचाप एक पिटारी में रखकर उस शिशु को अश्व नाम की नदी में फेंक दिया था| इसके जन्म की कथा बड़ी विचित्र है|

मक्खन एक दुग्ध-उत्पाद है जिसे दही, ताजा या खमीरीकृत क्रीम या दूध को मथ कर प्राप्त किया जाता है। क्या आप जानते हैं, कि मक्खन खाने के भी अपने ही कुछ फायदे हैं।  

एक कुत्ते को पक्षियों के अंडे खा जाने का अभ्यास हो गया| वह खेत की मेड़ों और नदी के किनारे घुमा करता और टिटिहरी के अंडे देखते ही खा जाया करता था| नदी-किनारे की रेत में वह कछुए के अंडे ढूँढ़ा करता था|