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1 भीष्म उवाच
सा निष्क्रमन्ती नगराच चिन्तयाम आस भारत
पृथिव्यां नास्ति युवतिर विषमस्थतरा मया
बान्धवैर विप्रहीनास्मि शाल्वेन च निराकृता

दुर्योधन के कपट-द्यूत में सर्वस्त्र हारकर पांडव द्रौपदी के साथ काम्यक वन में निवास कर रहे थे, परंतु दुर्योधन के चित्त को शांति नहीं थी| पांडवों को कैसे सर्वथा नष्ट कर दिया जाए, वह सदा इसी चिंता में रहता था|