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जब कोई प्राणी परलोक सिधारता है तो उसके नमित रखे ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ के पाठ का भोग डालने के पश्चात ‘रामकली राग की सद्द’ का भी पाठ किया जाता है| गुरु-मर्यादा में यह मर्यादा बन गई है| यह सद्द बाबा सुन्दर दास जी की रचना है| सतिगुरु अमरदास जी महाराज जी के ज्योति जोत समाने के समय का वैराग और करुण दृश्य पेश किया गया है|

बादशाह अकबर की अंगूठी गुम हो गई| बादशाह ने बहुत तलाश की किंतु अंगूठी नहीं मिली| उन्होंने इस बात का जिक्र बीरबल से किया तो उसने पूछा – “हुजूर, आपको याद है, आपने अंगूठी कब उतारी थी?”