एकता ही बल है
एक कबूतरों का एक झुण्ड खाने की तलाश में बड़ी दूर उड़ता चला गया| मीलों उड़ने के बाद भी उन्हें कहीं अन्न का दाना नहीं आया| यों ही भूखे-प्यासे एक वे घने जंगल के ऊपर से गुजर रहे थे| एक नन्हा कबूतर बहुत थक गया था| उसने झुण्ड के सरदार से विनय की, “महाराज, हम कहीं थोड़ी देर के लिए सुस्ता लें|”