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प्रातःकाल जब राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, “भगवन्! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषि या मुनि दिखाई नहीं देते?”

किसी वन में भासुरक नाम का एक सिंह प्रतिदिन अनेक जीवों को मारा करता था| एक दिन जंगल के सभी जीव मिलकर उसके पास पहुँचे और उससे निवेदन किया- “वनराज! प्रतिदिन अनेक प्राणियों को मारने से क्या लाभ? आपका आहार तो एक जीव से पूर्ण हो जाता है, इसलिए क्यों न हम परस्पर कोई ऐसी प्रतिज्ञा कर लें कि आपको यहाँ बैठे-बैठे ही आपका भोजन मिल जाए|

बहुत समय पहले एक ब्राह्मण रहता था| वह भीख मांगकर गुजर-बसर करता था| कभी-कभी तो उसे कई दिन भूखा रहना पड़ता| कभी मुश्किल से एक समय का खाना जुटा पाता| मगर एक दिन उसकी किस्मत चमकी| कहीं से उसे एक हंडी भर आटा मिल गया| इतना आटा पाकर ब्राह्मण खुशी से फूला न समाया| वह हंडी लेकर घर पहुंचा और उसे अपने बिस्तर के पास लटकाकर आराम से लेट गया|