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प्रेम भक्ति के संसार में कुबिजा का नाम बड़ा आदर-सत्कार से लिया जाता है| कुबिजा मालिन के प्यार के गीत बनाकर कविजन गुनगुनाते हैं| गुरुबाणी में भी यह आता है, ‘कुबजा ओधरी अंगसुट धार’ (बसंतु राग) आओ, श्रद्धालु और भक्तो जनो! आज आपको कुबिजा की कथा सुनाते हैं| श्रद्धा और प्यार से जो स्त्री-पुरुष यह कथा श्रवण करेगा, उसके हृदय और आत्मा में प्यार उमड़ आएगा|

सूर्यास्त होने में अभी थोड़ा समय बाकि था| राजा हरिश्चंद्र अपने आपको बेचने के लिए नगर में निकल पड़े| परन्तु उन्हें किसी ने नहीं ख़रीदा| तब वे श्मशान घाट पर जा पहुचें| वंहा धर्म ने चाण्डाल का रूप बनाया और राजा के सामने आकार बोला, “अरे! तुम कौन हो और यंहा क्यों आए हो?”