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ब्राम्हण के वेश में विश्वामित्र राजा हरिश्चंद्र को लेकर अपने आश्रम पर पहुंच| वंहा वास्तव में एक विवाह का आयोजन किया जा रहा था| वेदी के पास दूल्हा-दुल्हन और आश्रमवासी विवाह संपन्न कराने की तैयारी कर रहे थे|

एक बार यूनान के थ्रेस प्रांत में एक निर्धन बालक लकड़ियां बेच रहा था। उसने जंगल से लकड़ियां काटी थीं और उन्हें गट्ठरों में बांधकर बाजार में लाया था।