अध्याय 119
1 [धृ]
अजितॊ दरॊण राधेय विकर्ण कृतवर्मभिः
तीर्णः सैन्यार्णवं वीरः परतिश्रुत्य युधिष्ठिरे
“Sanjaya said, ‘Thou askest me about the feats of Arjuna in battle.Listen, O thou of mighty arms, to what Partha achieved in the fight.
किसी जमाने में एक राजा था| वह बड़ा नेक था| अपनी प्रजा की भलाई के लिए प्रयत्न करता रहता था| उसने अपने राज्य में घोषणा करा दी थी कि शाम तक बाजार में किसी की कोई चीज न बचे, अगर बचेगी तो वह स्वयं उसे खरीद लेगा, इसलिए शाम को जो भी चीज बच जाती, वह उसे खरीद लेता|
“Vyasa said, ‘These, then, are the obligatory acts ordained forBrahmanas. One possessed of knowledge always attains to success by goingthrough (the prescribed) acts.
1 [महेष्वर]
तिलॊत्तमा नाम पुरा बरह्मणा यॊषिद उत्तमा
तिलं तिलं समुद्धृत्य रत्नानां निर्मिता शुभा