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मंद, मधुर, मधुराम्ल, आम्ल, अत्याम्ल दही उष्णवीर्य, बलकारक, रुचिवर्धक, मलावरोधक है| यह पेट की जलन को दूर करता है| कफनाशक है, मूत्रल है, खांसी एवं विषम ज्वर में लाभकारी है| इसके साथ जीरा, सैंधा नमक एवं त्रिकुटे का चूर्ण मिलाकर खाने से अधिक उपयोगी होता है| इनका योग शरीर को दृढ बनाता है| अंगों में स्फूर्ति एवं कांति पैदा करता है|

बादशाह अकबर एक बार खाना खाते समय बैंगन की सब्जी की बहुत तारीफ करने लगे| बीरबल ने भी बादशाह अकबर के सुर में सुर मिलाकर बैंगन की सब्जी को अच्छा बता दिया|