Chapter 11
“Vaisampayana said, ‘After that night had passed away, Dhritarashtra, theson of Amvika, despatched Vidura to Yudhishthira’s mansion.
“Vaisampayana said, ‘After that night had passed away, Dhritarashtra, theson of Amvika, despatched Vidura to Yudhishthira’s mansion.
सात वर्ष बीत गए| एक दिन राजा शांतनु नदी के तट पर घुमने निकले| उन्होंने देखा एक सुन्दर बालक छोटे से धनुष से नदी में तीर चला रहा है| शांतनु सोचने लगे, “यह बालक जल से इस भांति खेल रहा है जैसे छोटे बच्चे अपनी माता के साथ खेलते हैं|” वे बालक को स्नेह से देख रहे थे, तभी गंगा उनके सामने प्रकट हुईं|
“Sauti said, ‘And then the Nagas drenched by that shower, becameexceedingly glad. And borne by that bird of fair feathers, they soonarrived at the island. That island had been fixed by the Creator of theUniverse as the abode of the makaras. There they saw the terrible LavanaSamudra (ocean of salt).
प्राचीन काल की बात है, राजा भरत शालग्राम क्षेत्र में रहकर भगवान् वासुदेव की पूजा आदि करते हुए तपस्या कर रहे थे| उनकी एक मृग के प्रति आसक्ति हो गई थी, इसलिए अंतकाल में उसी का स्मरण करते हुए प्राण त्यागने के कारण उन्हें मृग होना पड़ा| मृगयोनि में भी वे ‘जातिस्मर’ हुए- उन्हें पूर्वजन्म की बातों का स्मरण रहा|
“Sanjaya said, ‘Beholding that tiger among men, viz., Karna, mounted onhis car, Duryodhana, O king, filled with joy, said these words, ‘Thishost, protected by thee, hath now, I think, got a proper leader. Letthat, however, be settled now which is proper and within our power.’
1 [भरद्वाज]
यदि परानायते वायुर वायुर एव विचेष्टते
शवसित्य आभासते चैव तस्माज जीवॊ निरर्थकः
किसी नगर में एक सेठ रहता था, उसके पास लाखों की संपत्ति और भरा-पूरा परिवार था, उसे सब तरह की सुख सुविधाएं थीं| फिर भी उनका मन अशांत रहता था|
1 [सन]
यत तच छुक्रं महज जयॊतिर दीप्यमानं महद यशः
तद वै देवा उपासन्ते यस्माद अर्कॊ विराजते
यॊगिनस तं परपश्यन्ति भगवन्तं सनातनम