अम्लपित्त (एसिडिट) के 22 घरेलु उपचार – 22 Homemade Remedies for Pyrosis (Sidit)
पेट में अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नहीं माना जाता, लेकिन इसके परिणाम अवश्य भयानक सिद्ध होते हैं| इसकी वजह से बहुत-सी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं|
पेट में अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नहीं माना जाता, लेकिन इसके परिणाम अवश्य भयानक सिद्ध होते हैं| इसकी वजह से बहुत-सी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं|
प्राचीन काल में एक राजा थे, जिनका नाम था इन्द्रघुम्न| वे बड़े दानी, धर्मज्ञ और सामर्थ्यशाली थे| धनार्थियों को वे सहस्त्र स्वर्णमुद्राओं से कम दान नही देते थे| उनके राज्य में सभी एकादशी के दिन उपवास करते थे| गंगा की बालुका, वर्षा की धारा और आकाश के तारे कदाचित् गिने जा सकते है, पर इन्द्रघुम्न के पुण्यों की गणना नही हो सकती|
“Dhritarashtra said, ‘When all the foremost of my warriors, O Sanjayahave perished, I do not think that the remnant of my army will notperish!
1 [बर]
हन्त वः संप्रवक्ष्यामि यन मां पृच्छथ सत्तमाः
समस्तम इह तच छरुत्वा सम्यग एवावधार्यताम
1 [अस्ट]
अन्धस्य पन्था बधिरस्य पन्थाः; सत्रियः पन्था वैवधिकस्य पन्थाः
राज्ञः पन्था बराह्मणेनासमेत्य समेत्य; तु बराह्मणस्यैव पन्थाः
1 [भ]
कृतार्थॊ यक्ष्यमाणश च सर्ववेदान्तगश च यः
आचार्य पितृभार्यार्थं सवाध्यायार्थम अथापि वा
एक शिकारी था| वह बड़ा ही क्रूर और निर्दयी था| वह पक्षियों का हनन करके उन्हें खा जाता था| एक दिन की बात है कि उसके जाल में एक कबूतरी फंस गई| वह उसे लेकर चला तो बादल घिर आए|
Vaisampayana said, “Vyasa then dispelled the grief of the eldest son ofPandu., who, burning with sorrow on account of the slaughter of hiskinsmen, had resolved to make an end of himself.”