अध्याय 99
1 [लॊमष]
ततः सवज्री बलिभिर दैवतैर अभिरक्षितः
आससाद ततॊ वृत्रं सथितम आवृत्य रॊदसी
कौशल देश में एक बड़ा ही भयंकर डाकू रहता था| उसका नाम था अंगुलिमाल| उसने लोगों को मार-मारकर उनकी उंगलियों की माला अपने गले में डाल रखी थी, इसलिए उसका यह नाम पड़ा|
Vaisampayana said, “After Yudhishthira had stopped, the great asceticDevasthana, possessed of eloquence, said these words, fraught withreason, unto the king.”
महर्षि मुद्गल प्राचीन वैदिक ऋषि थे| वे ऋग्वेद के दशम मंडल के १०२ वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि थे| गौतम पत्नी अहल्या और शतानंद इन्हीं के वंश में उत्पन्न हुए थे| महर्षि मुद्गल ऋग्वेद कि मुख्य शाखा- शाकल्यसंहिता के द्रष्टा महर्षि शाकल्य के पाँच शिष्यों में से सर्वप्रथम थे| इनकी पत्नी इंद्रसेना या मुद्गलानी कही गई है|
Sanjaya said,–“O king, I will now describe to thee the combats ofhundreds and thousands of foot-soldiers. O Bharata, in utterforgetfulness of all consideration due to others.
1 [धृ]
पराप्तान आहुः संजय पाण्डुपुत्रान; उपप्लव्ये तान विजानीहि गत्वा
अजातशत्रुं च सभाजयेथा; दिष्ट्यानघ गरामम उपस्थितस तवम