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एक विदेशी को अपराधी समझ जब राजा ने फांसी का हुक्म सुनाया तो उसने अपशब्द कहते हुए राजा के विनाश की कामना की। राजा ने अपने मंत्री से, जो कई भाषाओं का जानकार था, पूछा- यह क्या कह रहा है?

यह मधुर, स्निग्ध, शीतल, शुक्रजनक एवं वीर्यवर्धक है| रक्त-पित्त एवं पित्त-विकार में अत्यंत लाभकारी है| यह हृदय को बल प्रदान करती है| सूखे मेवों में इसका स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण है|

द्रोण की मृत्यु के बाद कर्ण को कौरव सेना के संचालन का भार सौंपा गया| दुर्योधन, द्रोण की मृत्यु से चिंतित था| अश्वत्थामा क्रोधित होकर युद्ध कर रहा था और हवा में अग्नि बाण चला रहा था|