Chapter 40
“The Holy One said, ‘Fearlessness, purity of heart, perseverance in (thepursuit of) knowledge and Yoga meditation, gifts, self-restraint,sacrifice, study of the
“The Holy One said, ‘Fearlessness, purity of heart, perseverance in (thepursuit of) knowledge and Yoga meditation, gifts, self-restraint,sacrifice, study of the
1 [बृ]
तवम अग्ने सर्वदेवानां मुखं तवम असि हव्यवाट
तवम अन्तः सर्वभूतानां गूढश चरसि साक्षिवत
Vaisampayana said, “When that foremost of Brahmanas had gone away on someother errand, the maiden began to ponder over the virtue of thosemantras.
एक मजदूर था अवतार। बिल्कुल अकेला, न पत्नी, न बच्चे। कभी आवश्यकता होती तो मजदूरी कर लेता। एक बार जेठ की भरी दोपहर में जब उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, वह मजदूरी ढूंढ़ने सड़कों पर निकल पड़ा। तभी एक तांगा आकर रुका और उसमें से एक व्यक्ति बाहर आया।
Vaishampayana said, “King Yudhishthira, thus praised by the gods, theMaruts and the Rishis, proceeded to that place where those foremost onesof Kurus race were.
Sauti said, “Janamejaya, the son of Parikshit, was, with his brothers,attending his long sacrifice on the plains of Kurukshetra. His brotherswere three, Srutasena, Ugrasena, and Bhimasena. And as they were sittingat the sacrifice, there arrived at the spot an offspring of Sarama (thecelestial bitch). And belaboured by the brothers of Janamejaya, he ranaway to his mother, crying in pain.
प्रेम पिआला साध संग शबद सुरति अनहद लिव लाई|
धिआनी चंद चकोर गति अंम्रित द्रिशटि स्रिसटि वरसाइ ||
धूल तेरे चरणों की बाबा चन्दन और अबीर बनी
जिसने लगाई निज मस्तक पर उसकी तो तकदीर बनी
दोनों सेनाओं में सत्रह दिनों से युद्ध चल रहा था| कर्ण की मृत्यु के बाद राजा शल्य को कौरव सेना का संचालन बनाया गया| संग्राम के अठारहवें दिन युधिष्ठिर और शल्य का आमना-सामना हुआ और युधिष्ठिर ने शल्य का वध कर दिया| शकुनि और उसका पुत्र, नकुल और सहदेव के हाथों मारे गए|