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तुम सागर ठहरे हम गागर ठहरे,हाये प्राण तुम्हीं को ध्याएँ
मोहे झलक दिखादो साँई मोहे झलक दिखादो साँई

कुछ वर्ष बीतने के बाद हस्तिनापुर में कृष्ण और बलराम की मृत्यु का समाचार पहुँचा| यह सुनकर पांडव बहुत दुखी हुए| क्रमशः राज्य और संसार से उनका मोह कम होता जा रहा था| अंततः पांडवों ने निश्चय किया कि वे राजपाट त्यागकर तीर्थयात्रा पर जायेंगें और फिर वहां से हिमालय की गोद में|

अंगुलिमाल नाम का एक बहुत बड़ा डाकू था| वह लोगों को मारकर उनकी उंगलियां काट लेता था और उनकी माला बनाकर पहनता था| इसी कारण उसका यह नाम पड़ा था| मुसाफिरों को लूट लेना उनकी जान ले लेना, उसके बाएं हाथ का खेल था| लोग उससे बहुत डरते थे| उसका नाम सुनते ही उनके प्राण सूख जाते थे|