Chapter 6
Janamejaya said, “O holy one, according to what rites should the learnedlisten to the Bharata? What are the fruits (acquirable by hearing it)?
Janamejaya said, “O holy one, according to what rites should the learnedlisten to the Bharata? What are the fruits (acquirable by hearing it)?
तुम सागर ठहरे हम गागर ठहरे,हाये प्राण तुम्हीं को ध्याएँ
मोहे झलक दिखादो साँई मोहे झलक दिखादो साँई
“Sanjaya said, ‘Many elephant-warriors riding on their beasts, urged bythy son, proceeded against Dhrishtadyumna, filled with rage and desirousof compassing his destruction.
1 [बराह्मणाह]
करियताम उपहारॊ ऽदय तर्यम्बकस्य महात्मनः
कृत्वॊपहारं नृपते ततः सवार्थे यतामहे
कुछ वर्ष बीतने के बाद हस्तिनापुर में कृष्ण और बलराम की मृत्यु का समाचार पहुँचा| यह सुनकर पांडव बहुत दुखी हुए| क्रमशः राज्य और संसार से उनका मोह कम होता जा रहा था| अंततः पांडवों ने निश्चय किया कि वे राजपाट त्यागकर तीर्थयात्रा पर जायेंगें और फिर वहां से हिमालय की गोद में|
1 [युधिस्ठिर]
यद्य अस्ति दत्तम इष्टं वा तपस तप्तं तथैव च
गुरूणां चापि शुश्रूसा तन मे बरूहि पितामह
1 [व]
गच्छन स तीर्थानि महानुभावः; पुण्यानि रम्याणि ददर्श राजा
सर्वाणि विप्रैर उपशॊभितानि; कव चित कव चिद भारत सागरस्य
अंगुलिमाल नाम का एक बहुत बड़ा डाकू था| वह लोगों को मारकर उनकी उंगलियां काट लेता था और उनकी माला बनाकर पहनता था| इसी कारण उसका यह नाम पड़ा था| मुसाफिरों को लूट लेना उनकी जान ले लेना, उसके बाएं हाथ का खेल था| लोग उससे बहुत डरते थे| उसका नाम सुनते ही उनके प्राण सूख जाते थे|