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1 [गुरु] चतुर्विधानि भूतानि सथावराणि चराणि च
अव्यक्तप्रभवान्य आहुर अव्यक्तनिधनानि च
अव्यक्तनिधनं विद्याद अव्यक्तात्मात्मकं मनः

एक दिन एक भूखे सियार का एक सिहं से सामना हो गया| सिहं को देखकर सियार की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई| उसने किसी तरह डरते-डरते कहा, ‘हे जंगल के राजा| मुझे अपनी शरण में ले लो| मैं आपकी हर आज्ञा मानूँगा|’

दिल्ली के बादशाह गयासुद्दीन के तीर से एक बालक की मौत हो गई। उसकी मां ने काजी से न्याय मांगा। बादशाह को अदालत में हाजिर होना पड़ा। काजी के सही न्याय से बादशाह खुश हो बोला- मुझे आप पर गर्व है ।

जब विश्व पर घोर संकट आता है और उसके प्रतिकारक कोई उपाय नहीं रहता, जब आदिशक्ति का आविर्भाव होता है| इसी प्रकार एक बार भण्डासुर से सारा विश्व त्रस्त हो गया था, तब उन्होंने ललिता के के रूप में लोकोद्धार का कार्य किया|