कोई कहे संत तुझको कोई फ़कीर रे
कोई कहे संत तुझको कोई फ़कीर रे
मुझे मेरा साई लागे सबसे अमीर रे
1 [दुर]
अयं ते कर्ण सारथ्यं मद्रराजः करिष्यति
कृष्णाद अभ्यधिकॊ यन्ता देवेन्द्रस्येव मातलिः
“Sanjaya said, ‘Meanwhile the son of Drona (Ashvatthama), beholdingYudhishthira protected by the grandson of Sini (Satyaki) and by theheroic sons of
एक दिन दस लड़के यात्रा पर रवाना हुए| उन्होंने तय कर लिया कि अमुक स्थान पर उन्हें पहुंचना है| सब अपने-अपने हिसाब से चलने लगे| कोई तेज चलता तो कोई धीरे| सब अलग-अलग हो गए|
“Yudhishthira said, ‘Tell me why had that lady no fear of Ashtavakra’scurse although Ashtavakra was endued with great energy? How also didAshtavakra succeed in coming back from that place?'”
करनपुर का राजा विशाल सिहं अपने जिद्दी, घमंडी व निरंकुश पुत्र दलवीर सिंह की वजह से बहुत चिंतित था|
“Yudhishthira said, ‘I desire, O bull of Bharata’s race, to hear indetail the source from which sin proceeds and the foundation upon whichit rests.’