अध्याय 51
1 [स]
गतापराह्णभूयिष्ठे तस्मिन्न अहनि भारत
रथनागाश्वपत्तीनां सादिनां च महाक्षये
गांधीजी के आश्रम में अनेक लोग सेवा कार्य हेतु आते थे। एक दिन एक संन्यासी उस आश्रम में पहुंचा और सेवा करने की इच्छा जताई। गांधीजी ने गेरुए वस्त्र त्यागने की बात उससे कही तो वह नाराज हो गया। तब गांधीजी ने उसे समझाइश दी।
फालसा दक्षिणी एशिया में भारत, पाकिस्तान से कम्बोडिया तक के क्षेत्र मूल का फल है। यह आपको गर्मी से तो राहत दिलाएगा ही, शरीर के लिए भी काफी पौष्टिक है। गर्मियों के सबसे लोकप्रिय फलों की सूची में फालसा प्रमुखता से शामिल है। अपने लाजवाब स्वाद के कारण फालसा हर किसी का पसंदीदा फल है।
“Dhritarashtra said, Upon the slaughter of the Atiratha, viz., Drona, byPrishata’s son, what did my sons and the Pandavas next do?’
“Uttara said, ‘To what warrior of fame doth this excellent bow belong, onwhich are a hundred golden bosses and which hath such radiant ends?
“Sisupala said,–“That mighty king Jarasandha who desired not to fightwith Krishna, saying ‘He is a slave,’ was worthy of my greatest esteem.
एक बार ग्वालों ने गोचर-भूमि और जल की सुविधा देखकर सरस्वती नदी के आस-पास डेरा डाल दिया| उनके पास गायों का एक बहुत बड़ा झुंड था|
तुझ में ही सब को पाके तुझ में ही मन रमा के
में तुम्ही से साई बाबा में तुम्ही को मांग लूँगा
“Sanjaya said, ‘The handsome Arjuna then, on that foremost car of his,unto which were yoked white steeds, and which was urged by Narayanahimself, appeared on the scene.