समझदारी की बात
एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही|
एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही|
1 बृहदश्व उवाच
परशान्ते तु पुरे हृष्टे संप्रवृत्ते महॊत्सवे
महत्या सेनया राजा दमयन्तीम उपानयत
“Yudhishthira said,–‘O grandsire, O thou of great wisdom, O thou thatart conversant with all branches of knowledge, I desire to hear theediscourse on topics connected with duty and Righteousness.
“Bhishma said, ‘The fowler, seeing the pigeon fall into the fire, becamefilled with compassion and once more said, ‘Alas, cruel and senselessthat I am, what have I done!
संत एकनाथ महाराष्ट्र के विख्यात संत थे। स्वभाव से अत्यंत सरल और परोपकारी संत एकनाथ के मन में एक दिन विचार आया कि प्रयाग पहुंचकर त्रिवेणी में स्नान करें और फिर त्रिवेणी से पवित्र जल भरकर रामेश्वरम में चढ़ाएं। उन्होंने अन्य संतों के समक्ष अपनी यह इच्छा व्यक्त की। सभी ने हर्ष जताते हुए सामूहिक यात्रा का निर्णय लिया। एकनाथ सभी संतों के साथ प्रयाग पहुंचे। वहां त्रिवेणी में सभी ने स्नान किया।
एक वन में भासुरक नामक सिंह रहता था| वह अपनी शक्ति के मद में प्रतिदिन वन के अनेक पशुओं का वध कर दिया करता था| कुछ को खाकर वह अपनी भूख शांत करता और कुछ को अपनी शक्ति दर्शाने और वन में दहशत फैलाने के लिए यूँ ही मार डालता|
“Sanjaya said, ‘Hearing these words of Arjuna, the mighty car-warriorspresent there said not a single word, O monarch, agreeable ordisagreeable, unto Dhananjaya.