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सम्पूर्ण कक्ष एक करुण-चीत्कार से गूँज उठा| अभी-अभी तो महाभारत युद्ध समाप्त हुआ है और विजय की इस वेला में यह करुण-क्रन्दन? सभी पाण्डवपक्ष के वीर पांचली के कक्ष से आती चीत्कार की ओर दौड़े पड़े|

किसी शहर में एक सेठ रहता था| किसी कारणवश उस बेचारे को अपने कारोबार में घाटा पड़ गया| गरीब होने के कारण उसे बहुत दुःख था| इस दुःख से तंग आकर उसने सोचा कि इस जीवन का उसे क्या लाभ? इससे तो मर जाना अच्छा है|