अध्याय 293
1 [वसिस्ठ]
एवम अप्रतिबुद्धत्वाद अबुद्ध जनसेवनात
सर्ग कॊति सहस्राणि पतनान्तानि गच्छति
रामदीन धोबी के पास एक गधा था| वह दिनभर उस गधे से जी-तोड़ काम लेता और शाम को उसे खुला छोड़ देता, ताकि वह जंगल तथा खेतों में हरी घास चरकर अपना पेट भर सके|
1 [इ]
एवम एतद बरह्मबलं गरीयॊ; न बरह्मतः किं चिद अन्यद गरीयः
आविक्षितस्य तु बलं न मृष्ये; वज्रम अस्मै परहरिष्यामि घॊरम
“Vaisampayana said, ‘About this time, there came into the Pandava campBhishmaka’s son, foremost among all persons of truthful resolution, andknown widely by the name of Rukmi.
महाभारत का प्रसंग है| जुए में हारने के बाद पाँच पांडव बारह वर्ष के वनवास के दिन वनों एवं पर्वतों में व्यतीत कर रहे थे| एक समय वे द्वैतवन के समीप ब्रहामणों के साथ निवास कर रहे थे कि शकुनि और कर्ण ने दुर्योधन को सलाह दी की हमारा विचार है कि तुम खूब ठाट-बाट से द्वैतवन को चलो और अपने वैभव और ऐश्वर्य से पांडवों को चमत्कृत कर दो|
“Dhritarashtra said, ‘Beholding the grandson of Sini proceeding towardsArjuna, grinding as he went that large force, what, indeed, O Sanjaya,did those shameless sons of mine do?
Vaisampayana said, “The wielder of the Pinaka, having the bull for hissign, thus disappeared in the very sight of the gazing son of Pandu, likethe sun setting in the sight of the world. Arjuna, that slayer of hostileheroes, wondered much at this, saying, ‘O, I have seen the great god ofgods.
हनुमान …….आपार शक्ति, विवेक एवं शीलता तो उनका अक्स्मात परिचय हैं । लेकिन आज प्रभु के वो स्वरुप की अनुभुति हुई की मन मुग्ध हो गया ।
1 [विरट]
किमर्थं पाण्डवश्रेष्ठ भार्यां दुहितरं मम
परतिग्रहीतुं नेमां तवं मया दत्ताम इहेच्छसि